ताजमहल पर एक बार फिर कीड़ों ने हमला कर दिया है। इस बार कीड़े मुख्य गुबंद के अंदर प्रवेश कर गए हैं। वहां की दीवारों पर नक्काशी तक हरी हो गई है। पिछले चार सालों में छठी बार कीड़ों ने ताजमहल पर हमला किया है। यमुना की ओर से आने वाले इन कीड़ों की रोकथाम के लिए एएसआई से लेकर नगर निगम या प्रशासन ने कोई भी कदम नहीं उठाए हैं।
चार साल पहले जब पहली बार कीड़ों ने ताज पर हमला किया था तो यही नहीं मालूम था कि ये कीड़े किस प्रजाति के हैं, लेकिन बाद में पड़ताल किए जाने पर पता लगा कि कीड़े गोल्डीकाइरोनोमस हैं। उसके बाद भी कोई रोकथाम नहीं हो पा रही है। ये कीड़े नमी में होते हैं। इस समय उमस होने के कारण पनप रहे हैं। यमुना की ओर से उड़कर सीधे ताजमहल के संगमरमरी पत्थरों की ओर आकर्षित होकर पत्थरों पर चिपक जाते हैं। काइरोनोमस मादा कीट एक बार में एक हजार तक अंडे देती है। लार्वा और प्यूमा के बाद करीब 28 दिन में पूरा कीड़ा बनता है। मादा कीट के अंडे यमुना नदी में भीषण गंदगी और फास्फोरस की मौजूदगी से बन रहे हैं।
इन कीड़ों की रोकथाम के लिए एडीएम सिटी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी में नगर निगम, जल संस्थान, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुरातत्व विभाग की रसायन शाखा के अधिकारियों को रखा गया था। कमेटी ने कुछ सुझाव दिए थे, लेकिन उनका पालन ही नहीं हो पाया। नतीजतन लगातार कीड़ों का ताजमहल पर हमला हो रहा है।