कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो गई है। बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए हैं। रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष कहा कि कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष को विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करना ही होगा, उससे निपटने का और कोई तरीका नहीं है।
कर्नाटक संकट पर बागी विधायकों ने कहा कि इस्तीफा सौंपे जाने के बाद उसका निर्णय गुण-दोष के आधार पर होता है न कि अयोग्यता की कार्यवाही लंबित रहने के आधार पर। आपको बता दें बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल याचिका में स्पीकर से इस्तीफा स्वीकार करने की मांग की है।
– रोहतगी ने कहा कि विधानसभा में विश्वास मत होना है और बागी विधायकों को इस्तीफा देने के बावजूद पार्टी की व्हिप का मजबूरन पालन करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को देखना होगा कि इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया है या नहीं।
– मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, यह उनके इस्तीफे की छानबीन करने की कोशिश है। स्पीकर एक ही समय में इस्तीफे और अयोग्यता दोनों मुद्दों पर निर्णय लेने का प्रयास कर रहे हैं।
– मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में 10 विधायकों की तरफ से कोर्ट को बताया कि मैं विधायक नहीं रहना चाहता हूं और कोई भी मुझे मजबूर नहीं कर सकता है। मेरा इस्तीफा स्वीकार होना चाहिए।
– बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि उमेश जाधव ने इस्तीफा दे दिया है और उनका इस्तीफा स्वीकार भी हो गया है।
-सभी दस याचिकाकर्ताओं (विधायकों) ने 10 जुलाई को इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि स्पीकर चाहे तो फैसला ले सकता है उनके पास इस्तीफे स्वीकार करने और उसे अयोग्य करने का अधिकार उनके पास है।