उत्तर प्रदेश के बरेली के बिथरी विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी और अजितेश के मामले में एक नया मोड़ आया है। अजितेश को तीन से पांच जुलाई के बीच एक शख्स ने दो चार बार नहीं बल्कि 63 बार कॉल किया। यह कॉल ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी रहे गौरव सिंह अरमान ने किया था। इसका खुलासा बीजेपी और पुलिस द्वारा की जा रही गोपनीय जांच में हुआ है। आपको बता दें कि विधायक राजेश मिश्रा के कार्यालय से भगाये जाने के बाद ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी रहे गौरव सिंह अरमान ने भाजपा के दो कद्दावर नेताओं के साथ मिलकर अजितेश और साक्षी के प्रेम प्रसंग की पटकथा लिखी थी।
इस गोपनीय जांच में सामने आया है कि घटना से तीन दिन पहले गौरव द्वारा लिये गए नए मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल सामने आने, भाजपा और पुलिस द्वारा की जा रही गोपनीय जांच के बाद ऐसे ही संकेत मिले हैं। गौरव ने तीन जुलाई से पांच जुलाई तक अजितेश को 63 बार कॉल की है। इसके अलावा कई मैसेज किए हैं। सूत्रों के मुताबिक यह बात भी सामने आ रही है कि पार्टी से जुड़े लोगों ने तीनों को एक साथ बैठे, गाड़ियों से आते जाते देखा है।
दो महीने पहले विधायक राजेश मिश्रा ने गौरव सिंह अरमान को अपने कार्यालय से भगा दिया था। इससे पहले तक वह विधायक का सबसे करीबी व्यक्ति था। बिथरी ब्लाक प्रमुखी का चुनाव लड़वाने से लेकर अन्य हर काम में विधायक ने हर कदम पर उसका साथ दिया। नाम न छापने की शर्त पर भाजपा के ही नेता बताते हैं कि विधायक के दम पर कोटे की ब्लैक मार्केटिंग, अवैध खनन का धंधा करता था। विधायक के आउट करने के बाद वह उनसे अपमान का बदला लेना चाहता था। पार्टी में ही विधायक से नाराज चल रहे दो कद्दावर नेताओं की शरण में वह चला गया। पहले तो विधायक को दूसरे तरीकों से हानि पहुंचाने पर विचार किया गया, लेकिन बात नहीं बनी। विधायक के गर्व पर चोट कर उनकी राजनीति को नुकसान पहुंचाने की रणनीति तय की गई। इसमें सबसे आसान टारगेट बनी विधायक पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी मिश्रा। साक्षी को टारगेट कर अजितेश को साधा गया।
अजितेश और गौरव अरमान की पहले से दोस्ती थी। कद्दावर नेताओं को भी अजितेश जानता था। बताते हैं कि जिस दौरान प्लानिंग चल रही थी, साक्षी जयपुर में पढ़ाई कर रहीं थीं। एक कद्दावर नेता के घर तीन बार बैठक होने के बाद रणनीति को अमली जामा पहनाने की तारीख तय हुई। नेताओं ने बरेली से भागने से लेकर इंदौर में रुकने, फ्लाइट की टिकट कराने, हाईकोर्ट में याचिका डालने और टीवी चैनल के स्टूडियो तक पहुंचाने की स्क्रिप्ट तैयार की। गौरव के जरिये उसको अमली जामा पहनवाया गया।
दलित ब्राह्मण राजनीतिक मुद्दा बनाने को चैनल से की डीलिंग
भाजपा नेताओं ने संगठन को रिपोर्ट दी है कि दलित ब्राह्मण का राजनीतिक
मुद्दा बनाने और विधायक को चैनल पर घसीटने के लिये बाकायदा डीलिंग की गई।
कद्दावर नेताओं ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर चैनल से बात की। इसके बाद समय
तय कर स्टूडियो में पूरे परिवार को भेजा गया। साक्षी, अजितेश और उसके पिता
हरीश नायक को चैनल ने ऐसे पेश किया, जैसे दलितों पर एक ब्राह्मण विधायक
अत्याचार कर रहा हो। हालांकि किसी के पास ऐसे कोई साक्ष्य नहीं थे कि
विधायक ने एक बार भी किसी के लिए अपशब्द और धमकी भरे शब्दों का प्रयोग किया
हो। इसके कारण दांव उल्टा पड़ गया। सोशल मीडिया में विधायक के पक्ष में
ज्यादा लोगों के खड़े हो जाने के कारण अत्याचार का इमोशनल ड्रामा फुस्स हो
गया।
हंस-हंसकर बनवाये गये साक्षी अजितेश के धमकी भरे वीडियो
साक्षी के घर से जाने के बाद भी जब कोई हलचल नहीं हुई। विधायक रोज अपने
कार्यालय में बैठते रहे। इसके बाद कद्दावर नेताओं ने साक्षी और अजितेश के
वीडियो बनवाये। दोनों हंस हंसकर वीडियो बना रहे हैं, लेकिन उसमें आरोप लगा
रहे हैं कि वह डरे और सहमे हैं। उनकी जान को खतरा है। सोशल मीडिया से लेकर
पार्टी और पुलिस अफसरों तक का मानना है कि वीडियो में उनके चेहरे, आवाज और
आत्मविश्वास देखकर नहीं लग रहा कि इन्हें किसी ने भी धमकी दी है। वीडियो
बनाने के बाद बरेली से लेकर बदायूं और शाहजहांपुर तक वीडियो सोशल मीडिया पर
वायरल किये गये।