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केजीएमयू में 24 घंटे के दौरान ब्लैक फंगस के आठ मरीज भर्ती किए गए हैं। अब तक 194 मरीज भर्ती किए जा चुके हैं। प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक ब्लैक फंगस के 13 मरीजों का ऑपरेशन किया गया है। इसमें ईएनटी विभाग व नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने ऑपरेशन किए हैं। ऑपरेशन के बाद मरीजों की तबीयत स्थिर बनी हुई है। उन्होंने बताया कि कानपुर के दो मरीजों ने दम तोड़ा। इसमें 57 व 30 वर्षीय पुरुषों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। लखीमपुर खीरी निवासी 40 वर्षीय पुरुष व 57 वर्षीय महिला की मौत हो गई। पीजीआई में चार मरीज भर्ती किए गए। यहां कुल 38 मरीज भर्ती हैं। लोहिया में एक मरीज भर्ती कराया गया है। लोहिया में अब तक 26 मरीज भर्ती कराए जा चुके हैं। पीजीआई से एक मरीज ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया।
गोरखपुर कूड़ा घाट निवासी 37 वर्षीय दिनेश (बदला हुआ नाम) 25 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए। लक्षण नहीं थे। लिहाजा मरीज ने घर में रहकर इलाज कराने का फैसला किया। पास के डॉक्टर से कोरोना के इलाज की दवा पूछी। जिसे खाईं। इसमें स्टराइड भी थी। करीब 12 दिन दवा खाने के बाद कोरोना को मात दे दी। रामचन्द्र ने बताया कि बेटे को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। डॉक्टर को दिखाया। तो वहां के डॉक्टरों ने मरीज को लखनऊ में चौक स्थित निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी। यहां 15 मई लखनऊ लाए। सीटी स्कैन जांच के बाद डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस की पुष्टि की। ऑपरेशन की जरूरत बताई। ऑपरेशन के बाद बेटे की तबीयत अब ठीक है। दिनेश बताते हैं कि सिर दर्द और सांस लेने में तकलीफ हुई थी। समय पर इलाज से काफी हद तक बीमारी काबू में आ गई है। वह बताते हैं कि दो बार मौत के मुंह से बाहर निकला हूं।
इन मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है
-डायबिटीज मरीज
-एचआईवी, कैंसर, अस्थमा
-कोरोना बीमारी के दौरान जिन मरीजों में ऑक्सीजन का प्रयोग किया गया।
ब्लैक फंगस से आंखों में होने वाले लक्षण
-आंखों में दर्द
-आंखों का लाल होना
-आधे सिर में दर्द होना
-पलक का झुक जाना या सूजन
-आंख का अपनी जगह से बाहर आना
-अचानक आंखों की रोशनी कम होना
-आंखों के अलावा नाक से खून आना
-काली पपड़ी जमना
-मुंह का टेढ़ा होना।
शमशाद अंसारी
द अचीवर टाइम्स लखनऊ