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भारत की बेटी स्वाति मोहन संभाल रही थीं मंगल ग्रह पर की लैंडिंग…

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में मार्स पर्सिवरेंस रोवर मिशन की लैंडिंग के दौरान एक महिला लगातार पूरी दुनिया को रोवर की स्थिति के बारे में बता रही थी. वह महिला भारतीय मूल की अमेरिकी साइंटिस्ट हैं. इस महिला ने ही मार्स पर्सिवरेंस रोवर को मंगल ग्रह पर उतरने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं ये कि कौन है? इन्होंने इस मिशन में क्या काम किया है?

भारतवंशी अमेरिकी साइंटिस्ट स्वाति मोहन कैलिफोर्निया स्थित पासाडेना में मौजूद नासा (NASA) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) में काम करती हैं. ये मार्स पर्सिवरेंस रोवर मिशन यानी मार्स 2020 मिशन की गाइडेंस, नेविगेशन एंड की प्रमुख हैं।

नासा का मार्स पर्सिवरेंस रोवर कब कितनी गति से कहां उतरेगा. उसका दिशा और दशा क्या होगी. वह किस ऊंचाई पर कितनी गति से चलेगा. यह सारा नियंत्रण स्वाति मोहन और उनकी टीम के जिम्मे था. जिसको इन्होंने पूरी बारीकी से निभाया. स्वाति इससे पहले नासा के कैसिनी मिशन जो शनि ग्रह पर रवाना किया गया था, चांद पर भेजे गए GRAIL मिशन का भी हिस्सा रह चुकी हैं।
स्वाति मोहन मार्स पर्सिवरेंस रोवर मिशन का हिस्सा साल 2013 से हैं. स्वाति जब एक साल की थीं तब उनके माता-पिता अमेरिका शिफ्ट हो गए. स्वाति मोहन ने वॉशिगंटन डीसी के नॉर्दन वर्जिनिया इलाके में एलेक्जेंड्रिया स्थित हेफील्ड हाईस्कूल से प्राइमरी एजुकेशन हासिल की है।

स्वाति मोहन कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल एंड एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीएस किया है. इसके बाद उन्होंने MS और Ph.D MIT से की है. यहां भी उनका सबजेक्ट एरोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिक्स ही था।

स्वाति मोहन ने बताया कि 16 साल की उम्र तक उनका नासा साइंटिस्ट बनने का कोई ख्वाब नहीं था. वो बच्चों की डॉक्टर बनना चाहती थी. स्वाति कहती हैं कि जब वह 16 साल की हुईं तो उन्होंने पहली बार फिजिक्स की क्लास अटेंड की. उन्होंने बताया कि वो खुशकिस्मत थीं कि उन्हें एक अच्छे टीचर मिले. इसके बाद उन्होंने डॉक्टरी छोड़ इंजीनियरिंग की तरफ अपना मन बनाना शुरू किया।

स्वाति मोहन का नासा में आने के ख्वाब के पीछे हॉलीवुड फिल्म ‘स्टार ट्रेक’ का बड़ा योगदान रहा है. जब उन्होंने इंजीनियरिंग करने का मन बनाया तो उन्हें याद आया कि वो 9 साल की उम्र में ये फिल्म देखकर कितनी खुश हुआ करती थीं. कितने सवाल मन में आते थे. ब्रह्मांड की नई-नई दुनिया देखने को मिलती थी. स्वाति कहती हैं कि ये तो बचपन की बात थी, लेकिन अंतरिक्ष में इतना ज्ञान भरा है, उसे जानने की चाहत में नासा की ओर आईं।

स्वाति कहती हैं कि नासा के JPL में काम करते वक्त हर दिन कुछ नई चुनौती आती है. यहां दुनिया को विकसित करने की बातें होती हैं. अंतरिक्ष की यात्राओं की चर्चाएं होती हैं. यहां पर काम करना प्रेरणा देता है. इसलिए मैं ब्रह्मांड में उन जगहों को देखना और समझना चाहती हूं जहां के बारे में आम इंसान कभी सोचता भी नहीं. इसलिए मैं नासा के अलग-अलग मिशन में शामिल होकर ऐसा जीवन जीना चाहती हूं।

पत्रकार अदिति सिंह

द अचीवर टाइम्स लखनऊ

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