लखनऊ, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) का नाम पहले भी राजधानी को उपद्रव की आग में ढ़केलने के लिए चर्चा में आया था। 19 दिसंबर 2019 को सीएए व एनआरसी के खिलाफ प्रर्दशन की आड़ में आगजनी व उपद्रव के पीछे पीएफआइ का नाम आया था। इस मामले में न केवल लखनऊ बल्कि बहराइच से भी संगठन के लोग गिरफ्तार किए गए थे।
ज़रूरी बात यह है कि 19 दिसंबर को प्रदेश भर में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने पीएफआइ के कुल 108 लोगों को गिरफ्तार किया था। प्रदर्शन की आड़ में पीएफआइ के सदस्य प्रदेश में आगजनी व हिंसा की तैयारी में थे। गिरफ्तार आरोपितों में पीएफआइ का प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद व कोषाध्यक्ष नदीम और मंडल अध्यक्ष अशफाक भी शामिल थे। छानबीन में सामने आया था कि पीएफआइ पर प्रतिबंध को देखते हुए आरोपितों ने दूसरा संगठन तैयार करने की योजना बनाई थी। लखनऊ पुलिस ने तब 14 लोगों को गिरफ्तार किया था। संगठन ने राजधानी के अलग अलग इलाकों में न केवल विवादित पोस्टर लगाए थे बल्कि लोगों को पंपेलेट भी बांटे थे। तत्कालीन एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी ने आरोपितों के खिलाफ इलेक्ट्रानिक साक्ष्य जुटाए थे। संगठन की मदद के लिए रिहाई मंच ने भीड़ जुटाने का काम किया था। पुलिस ने रिहाई मंच के रॉबिन वर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया हैं।
परिवर्तन चौक, हुसैनाबाद और खदरा समेत अन्य इलाकों में प्रदर्शन की आड़ में उपद्रवियों ने आगजनी, तोडफ़ोड़ व पथराव किया था। इस दौरान करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए थे।
पत्रकार अंगद मौर्या
द अचीवर टाइम्स लखनऊ