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रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन सुरक्षा को लेकर एक बार फिर चर्चा में

रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन ‘स्पुतनिक वी’ एक बार फिर चर्चा में आ गई है। दरअसल, इस वैक्सीन को जिन लोगों को लगाया जा रहा है, उनमें से सात में से एक स्वयंसेवक पर इसके दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने इसकी जानकारी दी है।

राज्य द्वारा संचालित ताश समाचार एजेंसी के अनुसार, मुराशको ने कहा कि 40,000 घोषित स्वयंसेवकों में से 300 से अधिक को अब तक स्पुतनिक वी वैक्सीन लगाई गई है। ताश ने मुराशको के हवाले से लिखा, लगभग 14 फीसदी स्वयंसेवकों ने 24 घंटे कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और शरीर के तापमान में कभी-कभी वृद्धि की शिकायतें कीं।
मुराशको ने कहा, कोरोना वायरस वैक्सीन लगने के अगले दिन लक्षणों में कमी आ गई। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के लगने के बाद आने वाली जटिलताओं को निर्देशों में वर्णित किया गया है और ऐसे लक्षण दिखाई देना पूर्वानुमान योग्य है।

स्वयंसेवकों को पहले के 21 दिनों के भीतर एडेनोवायरस-आधारित वायरल वेक्टर वैक्सीन की दूसरी खुराक प्राप्त होने की उम्मीद है। स्पुतनिक वी को अभी तक बड़े पैमाने पर नैदानिक परीक्षणों को पूरा करना है लेकिन पिछले महीने रूसी सरकार द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई थी। इस तरह ये दुनिया में कहीं भी कोरोना के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली पहली कोरोना वैक्सीन बनी।

स्पुतनिक वी वैक्सीन का अंतिम नैदानिक परीक्षण इस महीने की शुरुआत में मॉस्को में शुरू हुआ था। हालांकि, वैज्ञानिकों ने वैक्सीन की किसी भी खुराक को लेने के लिए पहले ही आगाह किया है, क्योंकि इसने पूर्ण सुरक्षा और प्रभावकारिता जांच को पास नहीं किया है।

रूसी स्वास्थ्य मंत्री की टिप्पणी देश के ‘संप्रभु धन कोष’ के उस बयान के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि यह नैदानिक परीक्षण और भारत में स्पुतनिक वी के वितरण के लिए फार्मास्यूटिकल्स दिग्गज ‘डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज’ के साथ एक समझौते पर पहुंच गई है। हालांकि, अभी तक ‘ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (डीसीजीआई) की तरफ से इस प्रक्रिया के लिए मंजूरी नहीं दी गई है।

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