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वाणिज्यिक व औद्योगिक इकाइयों को राहत देने के लिए भूगर्भ जल नियमावली-2019 में हो सकता है संशोधन

भूजल गर्भ नियमावली के अंतर्गत की जाने वाली कार्यवाही तय समय में पूरी न कर पाने वाली वाणिज्यिक व औद्योगिक इकाइयों को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार अतिरिक्त समय देने पर विचार कर रही है। इसके लिए भूगर्भ जल (प्रबंधन और विनियमन) नियमावली-2019 में संशोधन किया जाएगा। इसका लाभ नियमावली के दायरे में आने वाले अन्य लोगों को भी मिलेगा।

वाणिज्यिक व औद्योगिक इकाइयों को भूगर्भ जल निकालने या उसका उपयोग करने के लिए केंद्रीय भूगर्भ जल प्राधिकरण से जारी अनापत्ति प्रमाणपत्र या राज्य सरकार के जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद से एनओसी की आवश्यकता होती है। परिषद से एनओसी के लिए अधिनियम लागू होने के 90 दिन के भीतर तय प्रारूप पर आवेदन जरूरी है। लॉकडाउन की वजह से तमाम इकाइयां यह कार्यवाही नहीं कर पाई हैं।

सरकार इस समय सीमा को एक वर्ष करने पर विचार कर रही है। इसी तरह घरेलू व कृषि संबंधी कार्यां के लिए कूप खोदा गया हो या बोरिंग कराई गई हो, तो उसके लिए खंड पंचायत भूगर्भ जल प्रबंधन समिति या नगरपालिका जल प्रबंधन समिति के समक्ष छह महीने के भीतर आवेदन करना होता है। इसे एक वर्ष बढ़ाते हुए डेढ़ वर्ष करने का प्रस्ताव है। औद्योगिक व वाणिज्यिक इकाइयों व अन्य को भूगर्भ से जल निकालने की सीमा तय करने के लिए इस अधिनियम की नियमावली लागू होने से छह महीने के भीतर राज्य भूजल प्रबंधन और विनियामक प्राधिकरण के समक्ष आवेदन करने की व्यवस्था है। सरकार यह सीमा एक वर्ष करने जा रही है।

नियमावली बनने के एक वर्ष के भीतर भूगर्भ जल को प्रदूषित करने वाली इकाइयों के लिए जल शोधन इकाई की स्थापना जरूरी है। सरकार यह समय सीमा दो वर्ष करने पर विचार कर रही है। सरकार ने नियमावली बनने की तिथि से दो महीने के भीतर समस्त उद्योगों के सत्यापन का प्रावधान किया है। अब सत्यापन की समय सीमा एक वर्ष करने की योजना है।

सरकार ने तय किया था कि 300 वर्गमीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंड वाले या सबमर्शिबल पंप आदि वाले समस्त सरकारी विभाग, प्राधिकरण, सहायता प्राप्त संस्थाएं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, निजी संस्थाएं व संगठन अधिनियम बनने के एक वर्ष के भीतर वर्षा जल संचयन से जुड़े ढांचे का निर्माण सुनिश्चित करेंगे। अब यह समय सीमा दो वर्ष करने की तैयारी है। सरकार की इस पहल से सरकारी, गैरसरकारी, औद्योगिक व वाणिज्यिक इकाइयों के साथ आम लोगों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है।

इसलिए बदलावों की जरूरत 
भूगर्भ जल प्रबंधन व विनियमन अधिनियम के उल्लंघन पर व्यावसायिक, औद्योगिक, इन्फ्रास्ट्रक्चरल व बल्क यूजर्स के लिए दंड का प्रावधान है। अधिनियम में अलग-अलग अपराध के लिए छह महीने से सात वर्ष तक कारावास तथा दो लाख से 20 लाख रुपये तक दंड का प्रावधान है। घरेलू व कृषि उपभोक्ताओं को दंड के दायरे से बाहर रखा गया है। समय सीमा न बढ़ाए जाने से लोग काफी परेशान हैं।

आवास व औद्योगिक विकास विभाग से मांगे सुझाव  
भूगर्भ जल विभाग ने प्रस्तावित बदलावों पर वित्त, न्याय व कार्मिक विभाग के अलावा खासतौर से आवास एवं शहरी नियोजन तथा अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग से राय मांगी है। राय आने के बाद इन बदलावों पर कैबिनेट की मंजूरी लेने की तैयारी है।

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