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राममंदिर का तकनीकी निर्माण कार्य शुरू होने में अभी कुछ और दिन लग सकते हैं

पांच अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों हुए भूमि पूजन के बाद अब राममंदिर का निर्माण कार्य करीब सौ मजदूरों के साथ शुरू किया जाएगा। निर्माण कार्य में बड़ी-बड़ी मशीनों का भी प्रयोग किया जाएगा। नक्शा पास होने के बाद ही मंदिर का तकनीकी निर्माण कार्य शुरू होगा। इसके लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या विकास प्राधिकरण में आवेदन किया है।

राममंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। हालांकि राममंदिर का तकनीकी निर्माण कार्य शुरू होने में अभी कुछ और दिन लग सकते हैं। वजह ये है कि अभी तक राममंदिर सहित रामजन्मभूमि परिसर का नक्शा पास नहीं हुआ है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक मंदिर का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण से पास होना है। इसमें डेढ़ से दो करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके बाद ही निर्माण का काम शुरू होगा। वहीं, दूसरी तरफ जांच के लिए मिट्टी आईआईटी चेन्नई भेजी गई है, वहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा कि मंदिर की नींव कितनी गहरी होगी और कब से काम शुरू होगा।

विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज बताते हैं कि राममंदिर के निर्माण कार्य में कितने मजदूर लगेंगे अभी ये तय नहीं है, क्योंकि अब तो बड़ी-बड़ी मशीनों से काम होता है। ज्यादा मशीनें लगेंगी, इसके कारण मजदूरों की कम जरूरत पड़ेगी। फिलहाल माना जा रहा है कि कम से कम 100 मजदूरों के साथ मंदिर निर्माण का काम शुरू होगा। वहीं, रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों को किस तरह प्रयोग करना है? ये सब अब एलएंडटी को ही तय करना है। अभी एलएनटी मैनपावर का काम भी अलग-अलग ठेकेदारों को देगी। जिसके बाद काम शुरू होगा। माना जा रहा है कि काम का बंटवारा हो चुका है। ट्रस्ट से हरी झंडी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा।

तराशे गए पत्थरों से बन जाएगा मंदिर का प्रथम तल 
श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोमपुरा के मुताबिक, तराशे गए जो पत्थर कार्यशाला में रखे हैं उनसे मंदिर के प्रथम तल का 65 फीसदी स्ट्रक्चर खड़ा हो जाएगा। इसमें ज्यादातर पिलर के पत्थर ही तराशे गए हैं। बताया कि कार्यशाला में करीब सवा लाख घनफुट पत्थर तराशकर रखे गए हैं। यहां पत्थरों को तराशने का काम 1992 से ही चल रहा है। अन्नू भाई सोमपुरा ने बताया कि शेष पत्थरों की तराशी कहां होगी? उसका क्या प्रारूप होगा? पत्थर कहां से आएंगे? ये सब अब ट्रस्ट व एलएंडटी की टीम को तय करना है। बताया कि उम्मीद है कि अब राजस्थान से ही पत्थर तराशकर सीधे श्रीरामजन्मभूमि परिसर में कार्यस्थल तक पहुंचाए जाएंगे।

उड्डयन, फायर, पर्यावरण सहित कई विभागों से ले रहे एनओसी
ट्रस्ट अब श्रीरामजन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ क्षेत्र का अयोध्या विकास प्राधिकरण से लेआउट पास कराने की प्रक्रिया पूरी करने में जुटा है। ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के मुताबिक नक्शा पास कराने के साथ ही उड्डयन, फायर, पर्यावरण सहित कई विभागों से एनओसी लेनी है। इसे लेकर कार्रवाई चल रही है। इसमें 15 से 20 दिन का समय लग सकता है। उन्होंने बताया कि 70 एकड़ क्षेत्र का नक्शा पास कराने में करीब दो करोड़ रुपये का शुल्क जमा करना पड़ सकता है। ट्रस्ट सारी विधिक प्रक्रिया पूरी करके ही काम शुरू कराएगा।

तांबे की छड़ों की पहली खेप पहुंची
निर्धारित आकार की तांबे की पट्टियां ट्रस्ट कार्यालय पहुंचना शुरू हो गई हैं। ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता के मुताबिक रविवार को आठ पट्टियों की पहली खेप पहुंची है। जिसे केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव की ओर से 18 इंच गुणे 30 मिमी गुणे 3 मिमी के आकार में बनवाकर भेजा गया है। इनको लेकर दिल्ली से उनका प्रतिनिधि यहां आया था, जिसका कहना था कि ये खेप तांबे के दान का औपचारिक श्रीगणेश करने के लिए भेजी गई है।

प्रकाश गुप्ता ने बताया कि तांबे की छड़े भेजने के लिए देश के कई प्रांतों से जनप्रतिनिधियों, व्यवसायियों और आम लोगों के फोन आ रहे हैं। जिसे फिलहाल भेजने के लिए रोका जा रहा है क्योंकि इसकी जरूरत करीब चार महीने बाद पड़ेगी। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पत्थरों को जोड़ने के लिए इसी आकार की करीब 10 हजार तांबे की छड़ों की मंदिर निर्माण में जरूरत पड़ने की जानकारी देकर इसे रामभक्तों से दान करने के लिए अपील की थी। मगर जिस तरह से लोगों में तांबे की छड़ों को भेजने का उत्साह दिख रहा है, उससे यही लगता है कि जरूरत से कहीं ज्यादा तांबा बहुत जल्द पहुंच जाएगा।

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