राज्य सरकार ने आर्थिक दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों में औद्योगीकरण को रफ्तार देने के लिए नई त्वरित निवेश प्रोत्साहन नीति 2020 को मंजूरी दे दी है। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आर्थिक रूप से पूर्वांचल, मध्यांचल व बुंदेलखंड में रोजगार के स्थायी अवसर सृजित करने के मकसद से सरकार ने यह नीति तैयार की है।
इसके तहत पूर्वांचल व बुंदेलखंड के जिलों में बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं की स्थापना पर पूंजी निवेश का 300 प्रतिशत और मध्यांचल के जिलों में 200 प्रतिशत की अधिकतम प्रतिपूर्ति होगी। यह प्रतिपूर्ति एसजीएसटी के रूप में की जाएगी। त्वरित निवेश प्रोत्साहन नीति-2020 को सोमवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई है।
सूत्रों के अनुसार यह नई नीति मेगा व उससे उच्च श्रेणी की नई परियोजनाओं पर लागू होगी। नीति के अंतर्गत मेगा व मेगा प्लस श्रेणी के औद्योगिक उपक्रमों को पात्रता के लिए इस नीति की अधिसूचना की तिथि से 30 माह व सुपर मेगा इकाइयों को 42 माह के भीतर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करना होगा।
मध्यांचल में नई इकाइयों को नीति के प्रभावी रहने की अवधि के दौरान किए गए पूंजी निवेश के 200 प्रतिशत की अधिकतम सीमा तक 12 वर्षों के लिए शुद्ध एसजीएसटी की 70 प्रतिशत प्रतिपूर्ति हो सकेगी। इसी तरह पूर्वांचल व बुंदेलखंड में पूंजी निवेश के 300 प्रतिशत की अधिकतम सीमा में 15 वर्षों के लिए एसजीएसटी की 70 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति हो सकेगी।
इस नीति की अधिसूचना से पहले प्रारंभ हो चुकी परियोजनाओं को भी इसका समान लाभ मिलेगा। इन्हें कुल पूंजी निवेश का 80 प्रतिशत इस नीति की अधिसूचना की तिथि के बाद निवेश करना अनिवार्य होगा।
अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
औद्योगिक विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर प्रदेश में आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौटे हैं। वहां रोजगार के स्थायी अवसर उपलब्ध कराने और प्रदेश की मंद पड़ी अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए ऐसी बड़ी निवेश वाली परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने की योजना है जो कम अवधि में ही स्थापित होकर अपना उत्पादन शुरू कर दें। अधिकारी ने बताया कि औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के अन्य प्रोत्साहनों के मुकाबले इस नीति के प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाया गया है।