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छह जिलों के कप्तानों समेत कुल 15 आईपीएस अफसरों का तबादला, अपराध नियंत्रण में नाकाम रहने के आरोप

अपराध रोकने में नाकाम रहे प्रदेश के छह जिलों के कप्तानों समेत कुल 15 आईपीएस अफसरों का शनिवार रात तबादला कर दिया गया। इन सभी पर अपराध नियंत्रण में नाकाम रहने के आरोप के साथ ही मातहतों पर शिथिल नियंत्रण व आचरण को लेकर शिकायत थी।

शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवरों के बाद ही यह पक्का हो गया था कि कई जिलों के कप्तानों को हटाया जा सकता है। सीएम की नाराजगी के बाद शुक्रवार को ही कानपुर में तैनात एक आईपीएस और एक क्षेत्राधिकारी को निलंबित कर दिया गया था।

अयोध्या व कानपुर में डीआईजी स्तर का एसएसपी
तबादलों के इस क्रम में एक बार फिर दो जिलों में डीआईजी स्तर के अधिकारी की बतौर एसएसपी तैनाती हुई है। पूर्व में बसपा सरकार में भी ऐसा प्रयोग किया गया था। माना जा रहा है कि कानपुर की घटना और अयोध्या की संवेदनशीलता को देखते हुए इन दोनों जगहों पर अपेक्षाकृत अधिक अनुभवी अफसरों की तैनाती की जरूरत महसूस की जा रही थी।

इसके अलावा कानपुर और अयोध्या को लेकर नोडल अफसरों की रिपोर्ट भी संतोष जनक नहीं पाई गई। इसी वजह से इन दोनों जिलों की कमान डीआईजी स्तर के अधिकारियों को सौंपी गई है।

मां-बेटी आत्मदाह प्रकरण में गई अमेठी की कप्तानी
अमेठी में पुलिस की अनदेखी से नाराज होकर गत दिनों मां-बेटी ने लखनऊ में लोकभवन के सामने खुद को आग के हवाले कर दिया था। इसमें महिला की मौत हो गई जबकि उसकी बेटी गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी। इस मामले को भी सरकार ने गंभीरता से लेते हुए वहां की कप्तान ख्याती गर्ग को हटा दिया है। उन्हें लखनऊ में पुलिस आयुक्त बनाया है।

37 दिन ही टिके दिनेश कुमार पी
बिकरू में आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने और संजीत अपहरण हत्याकांड व बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या ने कानपुर की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। इसकी गाज कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार पी पर गिरी। शासन ने उनका तबादला झांसी कर दिया है। कानपुर में उनका कार्यकाल 37 दिनों का रहा। इस दौरान तीन बड़ी वारदातें हुईं। जिसमें शहर की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे है। माना जा रहा है कि नोडल अधिकारी आईपीएस बीपी जोगदंड की रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई है।

अनुशासनहीनता भी कारण
झांसी, जालौन व खीरी के कप्तानों की शिकायतें शासन को मिलीं थीं। खीरी में पिछले दिनों एक क्षेत्राधिकारी स्तर के अफसर को एक महिला अधिकारी से अभद्रता के आरोप में निलंबित किया गया था। खीरी के मामले में मातहत अधिकारियों पर नियंत्रण न होने की भी शिकायत थी।

जालौन के कप्तान की भी कई शिकायतें ऊपर तक पहुंच रही थीं। लिहाजा इन जिलों के कप्तानों को भी हटा दिया गया है। तबादलों के इस क्रम से सरकार ने पुलिस अधिकारियों को संदेश देने की कोशिश की है। बस्ती रेंज के आईजी को भी सरकार के आदेशों की अनदेखी कर का खामियाजा भुगतना पड़ा। जब लॉकडाउन के दौरान तबादलों पर रोक लगा दी गई थी तब वहां कई मातहत अधिकारियों के अंतर जनपदीय स्थानांतरण कर दिए गए थे।

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