प्रदेश सरकार राज्य आकस्मिकता निधि की सीमा स्थायी तौर पर बढ़ाकर 1200 करोड़ रुपये करने जा रही है। इसके लिए विधानमंडल के मानसून सत्र में यूपी आकस्मिकता निधि (संशोधन) अध्यादेश के स्थान पर यूपी आकस्मिकता निधि (संशोधन) विधेयक लाया जाएगा।
वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में आपातकालीन आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राज्य आकस्मिकता निधि है। सरकार जब चाहे इसमें उपलब्ध राशि खर्च कर सकती है। तय समय सीमा में बजट व्यवस्था होने पर इस निधि में रकम लौटानी होती है।
यूपी आकस्मिकता निधि संशोधन अधिनियम-1990 के जरिए इस निधि की सीमा 600 करोड़ रुपये तय की गई थी। पिछले दिनों कोविड-19 महामारी के दौरान अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता पड़ने पर सरकार ने निधि की सीमा 1200 करोड़ रुपये करने के लिए यूपी आकस्मिकता निधि संशोधन अध्यादेश-2020 को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश का प्रभाव राज्य विधानमंडल के आगामी सत्रारंभ के दिनांक से छह सप्ताह के बाद मान्य नहीं रह जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि पिछले 30 वर्षों में राज्य के बजट आकार में लगातार वृद्धि हुई है। साथ ही दैवी आपदा, महामारी व विशेष परिस्थितियों में अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समय-समय पर आकस्म्किता निधि के आकार में स्थायी तौर पर वृद्धि की जरूरत महसूस की जाती रही है। इसके लिए सरकार ने 30 वर्ष पुराने कानून में स्थायी तौर पर संशोधन का फैसला किया है।
राज्य विधानमंडल के आगामी मानसून सत्र में सरकार आकस्मिकता निधि की सीमा स्थायी रूप से बढ़ाकर 1200 करोड़ रुपये करने जा रही है। विधेयक के मसौदे की कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी ले ली गई है।