राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी उठापटक पर राजस्थान उच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू हो गई है। अदालत ने पृथ्वीराज मीणा की अपील स्वीकार करते हुए केंद्र को पक्षकार बनाने की मांग मान ली है। पायलट गुट की याचिका पर अब केंद्र भी पक्षकार होगी।
बता दें कि सचिन पायलट खेमे के विधायकों ने स्पीकर के नोटिस के खिलाफ अदालत का रुख किया था। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने राजस्थान स्पीकर को बागियों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई न करने का आदेश सुनाया था। इसके बाद स्पीकर ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने भी सुनवाई टालने से मना कर दिया था।
क्या होगा पायलट खेमे का भविष्य
पार्टी के अंदर बागी रुख अपनाने वाले सचिन पायलट और उनके साथियों ने स्पीकर का नोटिस मिलने के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। विधायक दल की बैठक में शामिल न होने पर कांग्रेस ने स्पीकर से उनकी शिकायत की थी, जिसके बाद स्पीकर ने उन्हें नोटिस जारी किया था। मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसपर आज सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
उच्च न्यायालय द्वारा कार्रवाई न करने का आदेश देने को राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने संविधान का उल्लंघन मानते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में सीपी जोशी ने दावा किया कि जबतक स्पीकर कोई फैसला न ले लें, तबतक अदालत उनके कामकाज में दखल नहीं दे सकती है। हालांकि घंटों चली सुनवाई के बावजूद उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि एक दिन की बात है पहले उच्च न्यायालय का फैसला आ जाए इसके बाद सोमवार को इसपर सुनवाई की जाएगी।
क्या है पायलट-गहलोत का दावा
पायलट खेमे का कहना है कि वो पार्टी के अंदर रहकर अपनी आवाज उठा रहे हैं और पार्टी बैठक पर व्हिप लागू नहीं होती है। ऐसा केवल विधानसभा सदन के लिए होता है। वहीं गहलोत खेमे का कहना है कि बागियों ने पार्टी नियमों का उल्लंघन किया है। वे भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश कर रहे थे, जो उनकी मंशा को दिखाता है।