श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रस्तावित नए मंदिर का डिजाइन मंगलवार को सोमपुरा बंधुओं की कड़ी मेहनत से तैयार हो गया है। ट्रस्ट ने इस मंदिर का नाम श्रीरामजन्मभूमि मंदिर रखा है, जो सबसे अग्रभाग में सिंह द्वार पर दर्ज होगा। इस मंदिर का आकार अब बढ़कर 84 हजार 6 सौ वर्गफीट हो गया है, जो पहले के प्रस्तावित मंदिर के दूना से भी करीब 10 हजार वर्गफीट बड़ा है।
इसमें गूढ़ मंडप समेत कीर्तन व प्रार्थना के लिए भी मंडप की व्यवस्था की गई है। पहले जहां मंदिर की क्षमता 20 हजार भक्तों की थी, वहीं अब 50 हजार से अधिक लोग एक साथ पूजा कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 5 अगस्त को भूमिपूजन से 15 दिन पहले ही गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले प्रख्यात वास्तुविद चद्रकांत सोमपुरा के दोनों पुत्र निखिल व आशीष ने मंगलवार की देर शाम प्रकार और सैंड स्टोन (गुलाबी पत्थर) से बनने वाले श्रीरामजन्म भूमि मंदिर में लगने वाले एक-एक स्तंभ, उसे खड़ा करने की पेटी समेत इसी पत्थर की छतों की डिजाइन तैयार कर ली है।
मंदिर में नहीं होगा स्टील का प्रयोग
इंजीनियर आशीष चद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि पूरे मंदिर में कहीं भी स्टील का प्रयोग नहीं होगा। पूरा मंदिर पत्थरों पर खड़ा होगा। पत्थरों के अलग-अलग आइटम का कैलकुलेशन जल्द ही फाइनल हो जाएगा। यह भी साफ किया कि नींव में भी स्टील का प्रयोग नहीं होगा। मिट्टी की जांच रिपोर्ट आते ही इसकी गहराई तय होगी, फिर इसे पत्थर या कंक्रीट से बनाने की अलग डिजाइन बनेगी, जिसे एलएंडटी व एनबीसीसी को तैयार करना है। इस नींव के बाद भी मंदिर की एक और फाउंडेशन 12 फीट ऊंचा बनेगा, जिसपर अग्रभाग, सिंह द्वार से लेकर गर्भगृह तैयार होगा।
गुंबद बढ़ने से मंडप के आकार में भी बढ़ोतरी
आशीष ने बताया कि नया मंदिर अब 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा बनाने को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसका कुल क्षेत्रफल अब 84 हजार 600 वर्ग फीट होगा, जो पुराने मॉडल से प्रस्तावित मंदिर से बहुत बड़ा और भव्य है। पहले 268 फीट 5 इंच लंबाई, 140 फीट चौड़ाई और 128 फीट ऊंचाई के साथ कुल क्षेत्रफल 37 हजार 590 वर्ग फीट था।
पहले तीन गुंबद को बढ़ाकर पांच गुंबद करने से मंदिर में तीन बड़े बदलाव हुए हैं। पहले अग्रभाग, सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंगमंडप के बाद गर्भगृह था, अब गर्भगृह और रंगमंडप के बीच गूढ़ मंडप बनेगा, और इसके दाएं-बाए अलग-अलग कीर्तन व प्रार्थना मंडप होगा। गर्भगृह को छोड़ बाकी सभी मंडप के आकार काफी बढ़ गए हैं। पहले पिंक स्टोन के 12 फीट फाउंडेशन के बाद गर्भगृह के फ्लोर पर सिर्फ रामलला विराजमान होंगे।
उसके ऊपर वाले तल पर रामदरबार बनेगा, मंदिर की ऊंचाई बढ़ने से तीसरा तल बनेगा, जो खाली रहेगा। आशीष ने कहा कि डिजाइन तैयार होने के बाद इसी अनुपात में अब पत्थरों का कैलकुलेशन हो रहा है। नींव की गहराई तय होते ही इसके लिए भी अलग से पत्थरों की माप तय होगी।
हमारे लिए यह गौरवपूर्ण क्षण
– आशीष सोमपुरा बेहद भावुक होकर कहते हैं कि हम दोनों भाइयों को लिए यह गौरवपूर्ण और राम की विशेष कृपा प्राप्त करने का क्षण है। पद्मश्री दादा प्रभाशंकर सोमपुरा ने आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर का डिजाइन तैयार किया था, पिता चंद्रकांत सोमपुरा ने अक्षरधाम मंदिर की डिजाइन बनाई। अब हम और निखिल दोनों पिता के सानिध्य में राममंदिर की डिजाइन बनाने का आशीर्वाद स्वयं प्रभु राम के आशीर्वाद से मिला है।
‘श्रीरामजन्मभूमि मंदिर होगा नाम’
अयोध्या में 500 साल के संघर्ष और कई पीढ़ियों की शहादत के बाद अब श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर बनाने का क्षण आया है। रामलला की जन्मभूमि पर बनने के कारण इस मंदिर का नाम श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के नाम से जाना जाएगा।
-चंपत राय, महासचिव श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट