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नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत भ्रमित करने वाले विज्ञापनों और इसे करने वाले सेलेब्रिटी पर लगेगा जुर्माना

नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में भ्रमित करने वाले विज्ञापनों और इसे करने वाले सेलेब्रिटी पर भी सरकार ने नकेल कसी है। भ्रमित करने वाले विज्ञापनों को धारा 2(28) में रखा गया है। इसके तहत किसी वस्तु या सेवा के बारे में गलत तरीके से बताने की परिभाषा तय की गई है।

गलत जानकारी व गारंटी के बारे में भी गलत के साथ ही गलत तरीके से विज्ञापन में प्रदर्शित किया गया है, जो प्रतिबंधित व्यापारिक गतिविधियों की श्रेणी में आएगा। उत्पाद संबंधी महत्वपूर्ण सूचना को छुपाया गया है। भ्रमित करने वाले विज्ञापन पर धारा 21 के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) कंपनी पर दस लाख तक का जुर्माना लगा सकता है। गंभीर मामलों में धारा 89 के तहत ये जुर्माना 50 लाख हो सकता है और पांच साल की जेल संभव है।
सरकार ने प्रचार करने वाले सेलेब्रिटी की जिम्मेदारी धारा 2(18) में तय की है। कोई संदेश, मौखिक बयान, प्रदर्शन, किसी का नाम, हस्ताक्षर, उससे जुड़ी कोई ऐसी चीज जो उसे प्रतिबिंबित करती हो, किसी संस्थान का नाम, उसकी मोहर या कोई ऐसी चीज जो उपभोक्ता को ये विश्वास दिलाए कि उस चीज से संबंधित व्यक्ति का पक्ष सामने आ रहा है। उपभोक्ताओं की शिकायत आई तो जुड़े सेलिब्रिटी पर भ्रामक विज्ञापन के लिए दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है।

हाईकोर्ट के जज होंगे आयोग के अध्यक्ष

डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक होने वाली नियुक्तियों, सेवा शर्तों, वेतन और भत्ते संबंधी भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं जो आज से ही प्रभावी हो जाएगा। नए कानून के तहत राज्य और जिला स्तर पर अध्यक्ष पद की नियुक्ति उसी व्यक्ति की होगी जो हाईकोर्ट का न्यायाधीश होगा। राज्य आयोग के अध्यक्ष पद या एक सदस्य के पद पर महिला का होना जरूरी है।

प्राधिकरण विक्रेता पर लगा सकता है 10 लाख जुर्माना 

प्राधिकरण नए उपभोक्ता कानून के तहत उत्पादक या उसके प्रचारक पर गलत जानकारी देने के आरोप में दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। इसके साथ ही दो साल तक की जेल भी हो सकती है। सीसीपीए के पास पूरा अधिकार होगा कि वह जुर्माना राशि 50 लाख कर सकता है और पांच साल तक जेल हो सकती है। सीसीपीए विस्तृत जांच करने के बाद उपभोक्ताओं के हक में कठोर फैसला लेगी।

जिले में एक करोड़ तक के मामलों की सुनवाई…

जिला स्तर पर उन्हीं मामलों की सुनवाई होगी जिस वस्तु या सेवा की कीमत एक करोड़ से अधिक नहीं होगी। किसी वस्तु या सेवा जिसकी लागत एक करोड़ से अधिक है लेकिन दस करोड़ से कम है उसकी सुनवाई राज्य स्तर पर स्थापित प्राधिकरण में होगी। दस करोड़ से अधिक की लागत वाली वस्तुओं और सेवाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई राष्ट्रीय स्तर पर होगी।

जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सीडीआरसी…

उपभोक्ता अधिकारों  को मजबूत बनाने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग बनेगा जहां उपभोक्ता शिकायत दर्ज करा सकता है। उपभोक्ता यहां प्रतिबंधित गतिविधियों, गलत या खराब वस्तु बेचने, अधिक कीमत वसूलने या ऐसी वस्तुओं की जानकारी देगा जिसे विक्रेता बेच रहा है और उससे जीवन या संपत्ति को नुकसान हो सकता है।

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