उत्तर प्रदेश सरकार ने कई राज्यों की स्टांप व्यवस्था के अध्ययन के बाद स्टांप शुल्क में वृद्धि संबंधी कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें मौजूदा विलेखों पर स्टांप शुल्क में 2 से 10 गुना तक वृद्धि प्रस्तावित है। इसके अलावा करीब एक दर्जन ऐसे नए क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं जिनका पिछले दो दशक में विकास हुआ है और वे स्टांप देयता से बाहर हैं।
इन क्षेत्रों को एक्ट में शामिल कर स्टांप दरें प्रस्तावित की जा रही हैं। इसके लिए भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की अनुसूची 1-ख में संशोधन किया जाएगा। स्टांप शुल्क में वृद्धि से सरकारी खजाने में करीब 400 करोड़ रुपये वार्षिक वृद्धि का अनुमान है।
स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों की स्टांप व्यवस्था का अध्ययन कर करीब छह माह पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रजेंटेशन दिया था। इसमें स्टांप शुल्क व रजिस्ट्रीकरण शुल्क में वृद्धि संबंधी सुझाव दिए थे। इस पर सरकार ने फरवरी में रजिस्ट्रीकरण शुल्क को तर्कसंगत बनाकर जरूरी वृद्धि कर चुकी है।
लेकिन स्टांप शुल्क में वृद्धि से संबंधित कार्यवाही पर विचार-विमर्श चल रहा था। सूत्रों के मुताबिक विभिन्न स्तर से प्राप्त सुझावों को शामिल कर विभाग ने कैबिनेट प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसमें कई विलेखों पर स्टांप शुल्क में वृद्धि के लिए प्रजेंटेशन में प्रस्तावित दर को कम किया गया है तो कई जगह अधिकतम सीमा में वृद्धि या कमी की गई है।
इसी तरह प्रजेंटेशन में चिह्नित ज्यादातर नए क्षेत्रों को प्रस्ताव में स्टांप के दायरे में शामिल कर लिया गया है। लेकिन, कुछ एक संवेदनशील क्षेत्रों को नहीं छेड़ा गया है।
विलेख का प्रकार लागू स्टांप शुल्क प्रस्तावित स्टांप शुल्क
शपथ पत्र 10 20
लिखत 10 100
प्रति या उद्धरण 10 20
अप्रेंटिसशिप पत्र 20 100
लाइसेंस पत्र 30 100
लीज सरेंडर 40 100
समझौता पत्र 50 200
प्रतिलेख या द्वितीय प्रति 50 100
न्यास का निरसन 80 500
क्षतिपूर्ति पत्र 80 100
दत्तक ग्रहण 100 1000
अधिकार क्रियान्वयन में नियुक्ति 50 100