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जानें कब से शुरू हो रहा है सावन, इसका महत्व

सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय है। यह महीना 6 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है जो 3 अगस्त रहेगा। हिन्दू पंचांग का यह पांचवां महीना होता है जिसे श्रावण या सावन माह के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है।

सावन सोमवार की तारीखें
दिन                                           तारीख
सावन का पहला सोमवार             06 जुलाई 2020
सावन का दूसरा सोमवार             13 जुलाई 2020
सावन का तीसरा सोमवार           20 जुलाई 2020
सावन का चौथा सोमवार             27 जुलाई 2020
सावन का पांचवा सोमवार          03 अगस्त 2020

सावन माह में बन रहा है ये अद्भुत संयोग
इस बार सावन के महीने में विशेष संयोग बन रहा है। 6 जुलाई से शुरू हो रहे सावन के महीने की शुरूआत भी सोमवार से हो रही है और समापन के दिन यानी 3 अगस्त को भी सोमवार ही पड़ रहा है। इस साल सावन महीने की शुरुआत और समापन सोमवार के दिन ही होगा जो धार्मिक नजरिए से एक अद्भुत संयोग है।

सावन माह से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है. समुद्र मंथन से निकले विष का शिव जी ने पान कर लिया था। इससे उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया था जिससे शिव को काफी परेशानी होने लगी थी।

भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर बारिश करवाई थी। कहते हैं कि यह घटनाक्रम सावन के महीने में हुआ था। इस प्रकार से शिव जी ने विष का पान करके सृष्टि की रक्षा की थी। तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं।

सावन सोमवार की पूजा में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है। साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।

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