एक तरफ जहां पूरी दुनिया योग की शरण में है वहीं दूसरी तरफ रुहेलखंड यूनिवर्सिटी की लापरवाही के कारण चलता हुआ योग पाठ्यक्रम बंद हो गया। नियम का ऐसा पेंच फंसा की राजभवन से निकली फाइल शासन में अटक गई। रुहेलखंड विवि की ओर से ठोस पैरवी न होने से अब विवि में योग की पढ़ाई मुश्किल में अटक गई है। यह भी कह सकते हैं कि विवि की मंशा ही इस कोर्स को शुरू करने के लिए नजर नहीं आती।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में योग का डिप्लोमा कोर्स सन 2000 में शुरू हुआ था। यह कोर्स छह सात साल अच्छे से चला बाद में विभागीय खींचतान में बंद हो गया। विश्व योगदिवस की शुरूआत के साथ कुलपति ने इस कोर्स को शुरू करने की मंशा दिखाई। तीन साल पहले पीजी डिप्लोमा इन योग शुरू किया गया। बाकायदा इसका सिलेबस बना। फीस तय हुई। आवेदन प्रक्रिया भी चली। करीब 500 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया और काउंसलिंग के दिन छात्र नेताओं के हंगामे और कोर्स की वैधानिकता को लेकर ऐसा पेंच फंसा कि काउंसलिंग रोक दी गई। मामला राजभवन तक पहुंचा और राजभवन ने शासन को मामला भेज दिया। दो साल से शासन में कोर्स का प्रकरण लंबित है। यह जानने के बाद भी विवि की ओर से कोई ठोस पैरवी नहीं की गई। विभाग की ओर से विवि प्रशासन को बार-बार रिमाइंडर भेजे गए पर उसपर काम नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि तीन साल पहले जिस योग कोर्स की शुरूआत पर काफी सराहना हुई थी अब तीन साल बाद अब इस कोर्स का कोई नामलेवा नहीं है। हैरानी की बात यह है कि केवल रुहेलखंड विश्वविद्यालय ही नहीं, कॉलेजों ने भी योग पाठ्यक्रम से दूरी बना रखी है। यह स्थिति तब है जब योग की डिमांड बढ़ती जा रही है। इसके बाद भी कॉलेजों की ओर से भी योग कोर्स शुरू करने के लिए कोई आवेदन नहीं किया गया है। जबकि दूसरे पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए कॉलेजों से काफी आवेदन आए है।
अभी भी अटकी है छात्रों की फीस
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में 500 से अधिक छात्रों के आवेदन जमा हुए थे। इनकी आवेदन फीस आज भी विवि में जमा है। काउंसलिंग के दिन ही कोर्स पर खड़े हुए विवाद के बाद छात्रों की न तो फीस वापस हुई और न ही उनको दाखिले का सपना पूरा हो सका। पूरी कवायद आज तीन साल बाद भी जस की तस पड़ी हुई है।
प्रो. अनिल शुक्ल, कुलपति रुहेलखंड विवि बताते हैं कि योग कोर्स कुछ विवादों की वजह से नहीं शुरू हो पाया था। कोर्स को लेकर राजभवन पत्र भेजा गया था। राजभवन की ओर से शासन को मामला संदर्भित किया गया था। इस मामले में विवि प्रशासन शासन से पत्राचार करेगा। कोर्स शुरू करने की पूरी कोशिश की जाएगी।