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चीन को टक्कर देंगी ये भारतीय मोबइल कंपनियां

चीन के खिलाफ इस वक्त दुनिया के कई देश हैं। पहले कोरोना वायरस और फिर भारत-चीन सीमा विवाद के मामला और गर्म हो गया है। सोशल मीडिया पर चाइनीज कंपनियों के बहिष्कार की बात हो रही है। भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी को दिया गया ठेका भी रद्द कर दिया है। इसके अलावा बीएसएनएल और एमटीएनएल को भी 4जी विस्तार के लिए चाइनीज कंपनियों की मदद ना लेने को कहा गया है। जब भी चीन के बहिष्कार की बात होती है तो सबसे पहले चाइनीज मोबाइल कंपनियां निशाने पर होती हैं। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।

काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक जनवरी से मार्च के बीच भारत में 81 फीसदी फोन की बिक्री चाइनीज कंपनियों की हुई है। भारत के मोबाइल बाजार में माइक्रोमैक्स और लावा जैसी कंपनियों की हिस्सेदारी महज एक फीसदी है, लेकिन यदि भारतीय कंपनियां #vocalforlocal मूवमेंट का फायदा उठाती हैं तो बाजार में फिर से इनकी वापसी हो सकती है। अब सवाल यह है कि यदि चाइनीज मोबाइल कंपनियों का पूरी तरह से बहिष्कार हो जाता है तो भारत की कौन-कौन सी मोबाइल कंपनियां हैं जो उनकी जगह ले सकती हैं।

माइक्रोमैक्स
साल 2017-18 तक भारतीय मोबाइल बाजार में घरेलू कंपनी माइक्रोमैक्स की अच्छी-खासी पकड़ थी। लोग माइक्रोमैक्स के फीचर से लेकर स्मार्टफोन तक खरीदते थे, लेकिन बाद में चाइनीज कंपनियों के दबदबे के बाद माइक्रोमैक्स ने अपना मोबाइल कारोबार एक तरह से बंद ही कर दिया। अब चीन का हो रहे विरोध के बीच कंपनी ने ट्विटर पर एक यूजर के सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि वह वापसी को तैयार है और जल्द ही तीन नए स्मार्टफोन बाजार में उतारे जाएंगे जिनमें से एक बजट फोन होगा, दूसरा मिड रेंज और तीसरा फोन प्रीमियम होगा, हालांकि कंपनी ने मॉडल नंबर नहीं बताया है और ना ही इस बात की जानकारी दी है कि मेड इन इंडिया फोन के लिए पार्ट्स की  सप्लाई कहां से होगी।

माइक्रोमैक्स अपने आगामी फोन के लिए #MadeByIndian और #MadeForIndian हैशटैग का इस्तेमाल कर रही है, हालांकि कंपनी ने इस बात की जानकारी नहीं दी है उसके फोन भारत में बने हैं या फिर किसी चाइनीज कंपनी की मदद से फोन तैयार किए गए हैं। आपको बताते चलें कि माइक्रोमैक्स ने भारत में पहले चाइनीज फोन को रीब्रांड करके बेचा है। माइक्रोमैक्स के सह-संस्थापक राहुल शर्मा ने दिसंबर 2014 में यू टेलीवर्क नाम से एक सब-ब्रांड की स्थापना की, जिसके तहत शुरुआत में शेन्जेन स्थित विक्रेता कूलपैड के रीब्रांड किए गए फोन बेचे गए। बाद में कूलपैड खुद ही भारत में अपने फोन बेचने लगी थी।

लावा इंटरनेशनल

माइक्रोमैक्स के बाद लावा भारत की एक प्रमुख मोबाइल कंपनी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लावा (Lava) भी जल्द अपना नया स्मार्टफोन पेश करने की तैयारी कर रही है। लावा के अगामी स्मार्टफोन को जेड66 मॉडल नंबर के साथ बैंचमार्क साइट गीकबेंच पर देखा गया है, जहां से इसके कई फीचर्स की जानकारी मिली हैं। लिस्टिंग के अनुसार, यूजर्स को इस स्मार्टफोन में एचडी डिस्प्ले, एंड्रॉयड 10, 3 जीबी रैम और UNISOC प्रोसेसर का सपोर्ट मिलेगा। इसके अलावा लावा के इस अगामी स्मार्टफोन को साइट पर सिंगल कोर में 153 और मल्टी कोर में 809 अंक मिले हैं। हालांकि, लावा ने अभी तक इस स्मार्टफोन की लॉन्चिंग से जुड़ी आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है। भारत में लावा के सफर की बात करें तो कंपनी की शुरुआत 2009 में हुई थी।

बाद में कंपनी ने अपना सबब्रांड Xolo भी पेश किया जिसके तहत कई सस्ते स्मार्टफोन पेश किए गए। साल 2019 तक कंपनी में कुल 10 हजार से अधिक कर्मचारी थे। लावा के फोन भारत के अलावा थाइलैंड, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मैक्सिको, पाकिस्तान और रूस जैसे देशों में सप्लाई होते हैं। कंपनी ने साल 2016 में अफ्रीकी बाजार में भी अपने फोन पेश किए थे। पिछले साल अमेरिका और चीन के बीच हुए ट्रेड वॉर में माइक्रोमैक्स और लावा काफी फायदा हुआ था, क्योंकि अमेरिका की AT&T, T-Mobile और Sprint ने डिवाइस तैयार करने के लिए भारत की इन्हीं दो कंपनियों को चयन किया था और 2,500 रुपये के फोन बनाने के लिए ऑर्डर मिले थे।

कार्बन मोबाइल्स
वैसे तो फिलहाल बाजार में कार्बन के स्मार्टफोन नहीं हैं लेकिन अब खबर आ रही है कि कंपनी जल्द ही स्मार्टफोन बाजार में एंट्री लेने वाली है। ईटी की रिपोर्ट्स के मुताबिक कार्बन मोबाइल 10 हजार रुपये में स्मार्टफोन लॉन्च करेगी। बता दें कि फीचर फोन बाजार में कार्बन की अच्छी-खासी पकड़ है। कंपनी भारत में हर साल करीब 8-10 लाख फीचर फोन का कारोबार कर रही है।

इंटेक्स
इंटेक्स भारत की सबसे पुरानी मोबाइल कंपनी है लेकिन 2018 से कंपनी बाजार से गायब है। कंपनी की स्थापना 1996 में हुई थी। एक समय में इंटेक्स की पकड़ स्मार्टफोन और फीचर फोन दोनों बाजार में थी, लेकिन फिलहाल पिछले दो साल से कंपनी ने कोई स्मार्टफोन बाजार में नहीं उतारे हैं। चीन की विरोध और #vocalforlocal मूवमेंट के बीच भी कंपनी की ओर से बाजार में वापसी को लेकर कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। भारत की सभी मोबाइल कंपनियों की निर्भरता अभी तक चीन पर ही रही है क्योंकि भारत में मोबाइल के पार्ट्स का उत्पादन नहीं होता। अब देखना यह होगा कि भारतीय मोबाइल कंपनियां बाजार में वापसी के लिए पार्ट्स कहां से मंगाती हैं। चीन के बाद वियतनाम मोबाइल पार्ट्स का नया ठिकाना हो सकता है।

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