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भारत चीन के गरम माहौल के बीच आईपीएल ने अगले हफ्ते बुलाई अहम बैठक

LaC पर भारत-चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद देश में चीन विरोधी माहौल गरमा गया है। गलवां घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत का बदला देशवासी चीनी उत्पादों के बहिष्कार से लेना चाहते हैं, इसी क्रम में दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई अगले चक्र के लिए अपनी प्रायोजन नीति (स्पॉन्सरशिप पॉलिसी) की समीक्षा के लिए तैयार है।

बीसीसीआई ने शुक्रवार को अपनी स्पॉन्सरशिप डील्स को लेकर अगले सप्ताह एक जरूरी मीटिंग करने का एलान किया है। आईपीएल ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘हमारे बहादुर जवानों की शहादत के परिणामस्वरूप हुई सीमा झड़प को ध्यान में रखते हुए आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने आईपीएल के विभिन्न प्रायोजन सौदों की समीक्षा के लिए अगले सप्ताह एक बैठक बुलाई है।’

इसके पहले गुरुवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा था कि, ‘जब आप भावुक होकर बात करते हैं, तो आप तर्क को पीछे छोड़ देते हैं। हमें समझना होगा कि हम चीन के हित के लिए चीनी कंपनी के सहयोग की बात कर रहे हैं या भारत के हित के लिए चीनी कंपनी से मदद ले रहे हैं। जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिए दे रहे हैं और बोर्ड भारत सरकार को 42 प्रतिशत कर चुका रहा है। इससे भारत का फायदा हो रहा है, चीन का नहीं।’
बायजू से पहले OPPO था टीम इंडिया का स्पॉन्सर
पिछले साल सितंबर तक चीनी मोबाइल कंपनी ओप्पो भारतीय टीम की प्रायोजक थी, लेकिन उसके बाद बेंगलुरू स्थित शैक्षणिक स्टार्ट अप बायजू ने चीनी कंपनी की जगह ली। धूमल ने कहा कि वह चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम करने के पक्ष में हैं, लेकिन जब तक उन्हें भारत में व्यवसाय की अनुमति है, आईपीएल जैसे भारतीय ब्रांड का उनके द्वारा प्रायोजन किए जाने में कोई बुराई नहीं है।

धूमल ने कहा था कि, ‘अगर मैं किसी चीनी कंपनी को भारत में क्रिकेट स्टेडियम बनाने का ठेका देता हूं, तो मैं चीनी अर्थव्यवस्था की मदद कर रहा हूं। गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन ने मोटेरा को दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बनाया और यह अनुबंध एक भारतीय कंपनी (एलएंडटी) को दिया गया था।

देश भर में हजारों करोड़ रुपये की क्रिकेट संरचना तैयार की गई है और कोई भी अनुबंध चीनी कंपनी को नहीं दिया गया। व्यक्तिगत रूप से मैं भी देश में चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में खड़ा हूं, लेकिन अगर वह चीनी धन भारतीय क्रिकेट की भलाई के लिए लग रहा है तो इसमें बुराई ही क्या है, हम तो एक तरह से भारत की मदद ही कर रहे हैं।’

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