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मसूद अजहर का रिश्तेदार था पुलवामा-2 दोहराने की साजिश में

भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा पिछले हफ्ते पुलवामा के अयानगुंड में एक बड़े आतंकी हमले को नाकाम कर दिया गया था। अब इस घटना की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस हमले को अंजाम देने में मोहम्मद इस्माइल अल्वी उर्फ लंबू का हाथ था। आतंकी इस्माइल को लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है।

इस मामले की जांच से जुड़े दो आतंकवाद निरोधक अधिकारियों ने बताया है कि इस्माइल जैश-ए-मोहम्मद (जेइएम) के मुखिया मौलाना मसूद अजहर का करीबी रिश्तेदार है। गौरतलब हो कि 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे और इस हमले को अंजाम देने में मसूद अहजर की मुख्य भूमिका थी।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा है कि जल्द ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस मामले की जांच का जिम्मा ले लेगी। पिछले साल हुए हमलों को लेकर संघीय एजेंसी इस्माइल लंबू को पकड़ने में लगी हुई है।

इनमें से एक अधिकारी ने बताया कि लंबू को इस्माइल भाई के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा उसे मोनिकर फौजी बाबा भी बुलाया जाता है। वह साल 2018 के अंत में भारत आया था और उसने मुदस्सिर खान, खालिद और मोहम्मद उमर फारूक (पिछले साल के पुलवामा हमले में शामिल साजिशकर्ता जिन्हें एक महीने बाद मुठभेड़ में मार गिराया गया) को घाटी में पत्थर की खदानों से जिलेटिन की छड़ें और स्थानीय दुकानों से अमोनियम नाइट्रेट सहित विस्फोटक सामग्री एकत्र करने में मदद की थी।

भारतीय सेना द्वारा कारी मुफ्ती यासिर के मारे जाने के बाद उसने जनवरी में कश्मीर में जैश की बागडोर संभाली। अधिकारी ने कहा कि इस्माइल एक आईईडी विशेषज्ञ है और उसने 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा हमले के लिए अन्य हमलावरों को मारुति ईको वैन में बम फिट करने में मदद की थी। इस्माइल का डिप्टी समीर अहमद डार भी पिछले साल के आत्मघाती बम विस्फोट में शामिल था।

दूसरे अधिकारी ने कहा कि हमें जानकारी मिली कि इस्माइल लंबू ने शिविरों या काफिले में से एक में इसी तरह की कार धमाके की योजना बनाई थी। इस बम को सैंट्रो कार में रखा गया था लेकिन गुरुवार (28 मई) की रात को समय पर इसका पता चल गया।

फोरेंसिक विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि अस्पष्टीकृत बम आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट और नाइट्रोग्लिसरीन से बना था। इसे बनाने में उन्हीं चीजों का इस्तेमाल किया गया था, जिसका 2019 पुलवामा बम धमाके में किया गया था।

अधिकारी ने कहा कि दोनों घटनाओं में समानताएं जैश-ए-मोहम्मद के संलिप्तता को दर्शाती हैं, हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा भी पिछले हफ्ते धमाके के प्रयास में शामिल हो क्योंकि ये सभी संगठन पाकिस्तान की सेना के दबाव में एक बड़े आतंकी हमले का संचालन कर रहे हैं।

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