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दिल्ली हिंसा के बाद पुलिस को खुली छूट

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के चलते मरने वालों की संख्या अब तक बढ़कर 18 हो गई है। दिल्ली के गुरू तेग बहादुर अस्पताल के अधिकारी ने बुधवार को कहा कि चार और शव को अस्पताल लाया गया है। इस घटना में घायलों की संख्या बढ़कर 250 से ज्यादा हो गई है।

दिल्ली के हालात का जायजा लेने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने मंगलवार की देर रात सीलमपुर के डीसीपी ऑफिस गए। वहां पर उन्होंने विभिन्न समुदाय के नेताओं के साथ भी बातचीत की।

अजीत डोभाल को दिल्ली हिंसा नियंत्रण की जिम्मेदारी

समाचार एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि दिल्ली में हिंसा को नियंत्रण में लाने की जिम्मेदारी अजीत डोभाल को दी गई है। वह दिल्ली हिंसा को लेकर बनी स्थिति के बारे में कैबिनेट और प्रधानमंत्री मोदी को जानकारी देंगे।

सूत्रों के मुताबिक, एनएसए ने यह साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की स्थिति नहीं रहने दी जाएगी और पर्याप्त संख्या में पुलिस बलों और पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात कर दिया गया है। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को खुली छूट दे दी गई है।

दो दशक में दिल्ली में सबसे विकराल हिंसा

दिल्ली की यह हिंसा करीब दो दशक में पहली बार इतने विकराल रूप में दिखी है, जिसकी शुरुआत रविवार को हुई। लेकिन, सोमवार को उस वक्त भारी हिंसा भड़की जब सीएए के समर्थन और विपक्ष के दो गुटों में झड़प हो गई। दोनों ग्रुप की तरफ से तलवार, पत्थर और अन्य हथियार चलाए गए। प्रदर्शनकारियों ने मौजपुर, जाफराबाद और अन्य इलाकों में लोगों के घरों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।

जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उच्च स्तरीय बातचीत कर रहे थे तो वहीं कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मंगलवार को एक बार फिर से हिंसा भड़क उठी। एक टायर मार्केट में लगाई गई आग के बाद धुएं का बड़ा गुब्बार निकलता हुआ दिखाई दे रहा था। प्रदर्शनकारी हाथों में डंटे और पत्थर लेकर सड़कों पर उतर आए थे।

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