राजधानी में सैकड़ों सरकारी मकानों में चपरासी से लेकर पूर्व सांसदों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। सरकारी आवासों पर कब्जा जमाने वालों में नौकरशाह, पूर्व न्यायाधीश के अलावा पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, बेलदार, क्लर्क स्तर के भी पूर्व कर्मचारी शामिल हैं। इतना ही नहीं, कर्मचारियों की मौत के वर्षों बाद भी उनके परिजन सरकारी मकानों में अवैध रूप से रह रहे हैं।
इसका खुलासा हाईकोर्ट में केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्रालय की ओर से पेश हलफनामे में किया गया है। मुख्य न्यायाधीश डी.एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि. शंकर की पीठ के समक्ष हलफनामा दाखिल कर मंत्रालय ने टाइप सात श्रेणी के बंगले से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को आवंटित होने वाले टाइप एक घरों में वर्षों से कब्जा जमाए कुल 576 लोगों की सूची पेश की है। इसमें कहा गया है कि इन मकानों में अवैध रूप से कब्जा कर रह रहे लोगों पर किराये के रूप में लाखों रुपये का बकाया भी वसूल किया जाना है।
सरकार की ओर से पेश हलफनामे पर विचार करने के बाद पीठ ने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय से 15 दिन के भीतर सभी सरकारी मकानों से अवैध कब्जा हटाने का आदेश दिया है। हालांकि, पीठ ने यह साफ कर दिया है कि यदि किसी का मामला किसी अन्य अदालत में लंबित या स्थगन आदेश है तो उनसे मकान फिलहाल खाली नहीं कराया जाए।
27 को होगी अगली सुनवाई
सरकारी मकानों को अवैध कब्जामुक्त कराकर मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था। मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी। मामले से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आदेश के बाद सरकारी मकानों से अवैध कब्जा हटाने का काम तेजी से चल रहा है। साथ ही बताया कि सूची में जिन 11 पूर्व सांसदों का नाम है, उनके एक को छोड़कर अन्य से जनवरी माह में ही आवास खाली करा लिया गया है।
परिजनों ने कब्जा जमा रखा
हाईकोर्ट में पेश हलफनामे के अनुसार 137 सरकारी आवास पर कर्मचारियों की मौत के बाद उनके परिजनों द्वारा अवैध कब्जा है।
सबसे अधिक 95 लाख रुपये का बकाया
कोर्ट में मंत्रालय की ओर से पेश हलफनामा के अनुसार सरकारी मकान में अनधिकृत रूप से रह रहे निजी सचिव पद से सेवानिवृत्त होने वाले वी.पी. राव पर 95 लाख रुपये बकाया है। बकायेदारों की सूची में सबसे अधिक बकाया राव के नाम पर है। उन्हें राजापुर स्थित टाइप 5 ए श्रेणी का बंगला आवंटित था। इसका आवंटन अक्तूबर 2016 में रद्द होने के बाद भी उन्होंने इसे खाली नहीं किया। इसी तरह कमांडेंट पद से सेवानिवृत होने के बाद आर.के. स्वामी मई 2001 से विकासपुरी स्थित टाइप 4 बंगले में अनधिकृत रूप से रहे हैं। मंत्रालय ने अनुसार उन पर 74 लाख रुपये से भी अधिक का बकाया है।
टाइप-1 से 3 श्रेणी तक के 454 आवास
हाईकोर्ट में पेश हलफनामे के अनुसार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 454 पूर्व कर्मचारियों व उनके परिजनों ने सरकारी मकानों पर अवैध कब्जा जमाया हुआ है। इन्हें टाइप एक से टाइप 3 श्रेणी तक के मकान आवंटित किए जाते हैं। हलफनामे के अनुसार इस श्रेणी में सबसे अधिक बकाया हवलदार पद से सेवानिवृत्त होने वाले इंद्रमोहन रावत पर है। उन पर किराये के तौर पर 38 लाख रुपये का बकाया है। रावत वसंत विहार में स्थित सरकारी घरों में फरवरी 2018 से अनधिकृत कब्जा जमाए हुए हैं।
सीपीडब्ल्यूडी सर्वे कराएगी
सीपीडब्ल्यूडी ने सरकारी फ्लैट पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके लिए विभाग ने सभी फ्लैट का घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों को मामले में 24 फरवरी तक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। विभाग के अनुसार, अधिकारियों को अवैध रूप से रह रहे लोगों की विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी देनी होगी।