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नहर ओवरफ्लो, 3 हजार बीघा फसलें डूबीं : मैनपुरी

गुरुवार की रात लोअर गंग नहर कानपुर ब्रांच में आधा दर्ज स्थानों पर खंदी लग गई। खंदी लगने से आधा दर्जन से अधिक गांवों की 3 हजार बीघा से अधिक फसल पानी में डूब गई। सुबह तड़के ग्रामीणों को खंदी लगने की जानकारी लगी तो हड़कंप मच गया। सेकड़ों ग्रामीणों की भीड़ कड़ाके की ठंड में खंदी को बंद करने के लिए दौड़ पड़ी। प्रशासनिक मदद भी मांगी गई लेकिन कोई भी मदद करने नहीं पहुंचा। जेसीबी और ट्रैक्टरों की मदद से जब तक खंदी बंद की गईं तब तक पानी ने अपना काम पूरा कर दिया।

दन्नाहार थाना क्षेत्र के ग्राम गांगसी, नगला हरी सिंह, सराय, उधन्ना, नगला बूचा, आदि ग्रामीण क्षेत्रों से होकर निकली कानपुर ब्रांच नहर में कई दिनों से पानी ओवरफ्लो चल रहा था। इस नहर से जुड़े रहवाहों में पानी जाने से खेतों में पानी भरने की आशंका थी। गुरुवार की शाम किसी ने गांगसी नहर पुल के पास झाल का फाटक बंद कर दिया। जिसके चलते रजवाहों का पानी बंद हो गया और नहर अत्यधिक ओवरफ्लो होकर कटने लगी। रात में नहर उपरोक्त स्थानों पर कट गई।

किसानों में नाराजगी, मदद को नहीं पहुंचा कोई
तड़के 3 बजे के करीब ग्रामीणों को इसकी जानकारी हुई तो लोग दौड़ पड़े। ग्रामीणों ने जेसीबी और ट्रैक्टर से खंदी को मिट्टी से बंद किया। लेकिन तब तक आलू, गेहूं,सरसों की तीन हजार बीघा से अधिक फसल डूब गई। फसल डूबने से किसान काफी निराश दिखे। किसान सर्वेश कुमार, रामपाल, पन्नालाल, चंद्रशेखर, संतराम, खुशीराम, जितेंद्र, हरिलाल, पप्पू, सियाराम, आदि का कहना था कि बड़ी मेहनत से फसल तैयार की थी। लेकिन खंदी लगने से फसल बर्बाद हो गई। किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है। किसानों में इस बात की भी नाराजगी थी कि एसडीएम और पुलिस को भी घटना की जानकारी दी गई। लेकिन कोई भी किसानों से मिलने नहीं आया और न ही नहर विभाग के अधिकारी कर्मचारी खंदी लगने की जानकारी देने के बाद मौके पर पहुंचे।

नगला हरी सिंह के निकट पानी से सर्वाधिक तबाही
गांगसी नहर के निकट बसे ग्राम नगला हरी सिंह में पानी ने सर्वाधिक तबाही मचाई। इस गांव के आसपास एक हजार बीघा फसलें पानी में डूबी है। ग्रामीणों का कहना था कि गांव के बाहर बने घरों की दीवारों से पानी टकराया तो हड़कंप मच गया। गांव के बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर ही रखा गया। गांव के बड़े लोग खंदी बंद करने के लिए घुटनों तक पानी में होकर गुजरे। ग्रामीण बता रहे थे बरसों बाद इलाके में ऐसा हुआ है। ये गांव टापू बन गया है।

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