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जानें क्या हैं आपके मानवाधिकार

10 दिसंबर यानि आज दुनियाभर में वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत 1950 में यूनाइटेड नेशन जनरल एसेंबली में ऐलान के साथ की गई थी। वर्ष 1948 में 10 दिसंबर को ही यूएन ने मानवाधिकारों पर एक डिक्लियरेशन जारी किया था, जो आम इंसान के अधिकारों के बारे में बताता है। मानवाधिकार से मतलब समानता, स्वतंत्रता और शिक्षा जैसे उन मौलिक अधिकारों से है जिनके हकदार दुनिया के सभी इंसान हैं।

भारत में क्या है स्थिति
बता दें कि भारत में सिविल सोसाइटी, मीडिया और स्वतंत्र न्यायपालिका है लेकिन इसके बावजूद मानवाधिकारों को लेकर चिंता बरकरार है। 2016 की ह्युमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में भारत में मानव अधिकारों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। गौरतलब है कि विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र में मानव अधिकारों के लिए जिन बातों का मुख्य रूप से जिक्र किया गाय उनमें शिक्षा, स्वास्थय, घर, रोजगार, भोजन और मनोरंजन से संबंधित इंसान की बुनियादी जरूरतें हैं। अगर कोई इंसान इन चीजों से वंचित है तो यह माना जाता है कि कहीं न कहीं उसके मानव होने के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

भारत के संविधान में मानवाधिकार की गारंटी दी गई है। भारत में शिक्षा का अधिकार इसी गारंटी के तहत है। हमारे मुल्क में 28 सितंबर, 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया और सरकार ने 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया। आयोग के कार्यक्षेत्र में बाल विवाह,स्वास्थ्य, भोजन, बाल मजदूरी, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति आदि के अधिकार आते हैं। हालांकि इसके बावजूद देश के अलग-अलग राज्यों से मानवाधिकारों के उल्लंघन की दिल दहला देनी वाली घटनाओं की खबरे आती रहती है।

स्वतंत्रता और समानता से जुड़े मानव अधिकार
1. दुनिया में सभी इंसान गरिमा और अधिकार के मामले में आजाद और बराबर हैं। हर इंसान को बिना किसी भेदभाव के सभी तरह के अधिकार और आजादी दी गई है। इसमें जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता, संपत्ति, समाज जैसी बातों को लेकर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
2. हर मनुष्य के पास जीवन, आजादी और सुरक्षा का अधिकार है। हर इंसान को यातना, प्रताड़ना और क्रूरता से आजादी का अधिकार हासिल है। किसी भी इंसान को गुलामी या दासता में नहीं रखा जा सकता है। किसी भी तरह के गुलामी के ट्रेड पर भी पाबंदी है।
3. दुनिया के किसी भी कोने में व्यक्ति की पहचान कानून से पहले एक इंसान के तौर पर है। कानून के सामने सभी बराबर हैं और हर इंसान को सुरक्षा का समान अधिकार हासिल है। सभी के पास एक स्वतंत्र और निष्पक्ष अदालत के जरिए सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार है। कोर्ट की ओर से दोषी करार न होने तक व्यक्ति को निर्दोष ही माना जाएगा। किसी भी अधिकार की अनदेखी होने पर हर इंसान के पास इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का पूरा अधिकार है।
4. किसी को भी मनमाने ढंग से अरेस्ट, नजरबंद या देश से निकाला नहीं जा सकेगा।

निजता से जुड़े अधिकार
1. इंसान के घर, परिवार, निजी जिंदगी और निजी लेटर्स में किसी भी दूसरे को दखल देने का अधिकार नहीं है। निजता पर हमले के मामले में इंसान के पास कानून से सुरक्षा मांगने का अधिकार है।
2. हर इंसान को जाति, राष्ट्रीय, धर्म की रुकावटों से दूर शादी करने और परिवार बढ़ाने का अधिकार है। वहीं, शादी के समय और शादी के बाद भी महिला और पुरुष को समानता का अधिकार हासिल है।
3. हर इंसान को कल्चरल एक्टिविटीज में शामिल होने का अधिकार है। वो आर्ट और साइंस के जरिए होने वाले विकास और फायदों को अपने लिए इस्तेमाल कर सकता है।

कोई भी कहीं भी आ-जा सकता है
1. हर इंसान के पास अपना देश छोड़कर किसी भी दूसरे देश में शरण मांगने का अधिकार है।
2. अपने देश में कहीं भी आने-जाने की आजादी के साथ ही इंसान को दूसरे देशों में आने-जाने का अधिकार। इतना ही नहीं, वो अपना देश छोड़ भी सकता है और वहां लौट पर सकता है। हर किसी के पास एक राष्ट्र विशेष की नागरिकता का अधिकार है। किसी से भी मनमाने तरीके से उसकी राष्ट्रीयता छीनी नहीं जा सकती है।
3. हर व्यक्ति को अकेले या किसी ग्रुप के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है। उसकी संपत्ति से उसका अधिकार मनमाने तरीके के छीना नहीं जा सकता।
4. इंसान किसी भी विचार और धर्म को अपनाने की आजादी का अधिकारी है। इसके साथ ही उसने अपना धर्म और विचार बदलने की पूरी आजादी है।

सरकार चुनने और संगठन बनाने और अभिव्यक्त करने का अधिकार
1. देश में सरकार बनाने की एक्टिविटीज में हिस्सा लेने और सरकार चुनने का अधिकार है। इसके साथ देश में पब्लिक सर्विस के क्षेत्र में काम करने का समान अधिकार है।
2. हर इंसान को विचारों को अभिव्यक्त करने की आजादी हासिल है। किसी भी मुद्दे पर बिना किसी दखल इंसान को अपने विचार रखने का अधिकार हैं। उसे मीडिया या अन्य माध्यमों से जानकारी हासिल करने से भी कोई रोक नहीं सकता।
3. हर इंसान के पास शांतिपूर्ण तरीके से संगठन बनाने, संस्था का सदस्य बनने और सभा करने का अधिकार है। हर इंसान को समाज का हिस्सा होने के नाते सोशल सिक्युरिटी का अधिकार हासिल है। इसके साथ व्यक्तित्व के विकास के लिए आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार हासिल हैं।

मन की नौकरी करने और शिक्षा का अधिकार
1. हर व्यक्ति को काम करने, अपनी पसंद का काम चुनने, बेहतर काम की स्थिति और बेरोजगारी से सुरक्षा का अधिकार है। इसके साथ ही इंसान समान कामके लिए बिना किसी भेदभाव के समान सैलरी का अधिकारी है। वो ट्रेड यूनियन में भी शामिल हो सकता है और उसका निर्माण भी कर सकता है। इंसान के पास अधिकार हैं कि उसके काम करने के घंटे तय हो और छुट्टियों पर सैलरी की कटौती न हो।
2. हर इंसान को खाना, कपड़ा, मकान, मेडिकल फैसिलिटी और जरूरी सोशल सिक्युरिटी का अधिकार हासिल है। हर इंसान को शिक्षा का अधिकार हासिल है। प्राथमिक शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है और ये कम से कम मुफ्त होनी चाहिए।

क्या कहती है ह्युमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट
ह्युमन राइट्स वॉच नेमानवाधिकारों को लेकर रिपोर्ट जारी की है इसमें भारत सहित दुनिया के अनेक देश हैं। इस रिपोर्ट में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रति संबंधित विभाग की उदासीनता और नेताओं के भड़काऊ भाषणों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार दलितों और जनजातीय समूहों का साथ भेदभाव और अत्याचार से रक्षा करने से जुड़ी नीतियों को लागू करने में नाकाम रही।

रिपोर्ट में एलजीबीटी को लेकर भी चर्चा की गई है। रिपोर्ट में लिखा है कि एलजीबीटी को लगातार उत्पीड़न, जबरन वसूली, धमकी और बुरे बर्ताव का सामना करना पड़ता है और पुलिस भी उनके साथ इसी तरह का बर्ताव करती है। गुजरात में दलितों के साथ उना में हुई बर्बरता ने भी समाज का ध्यान एक बार फिर मानव अधिकार के प्रति खींचा है। 1975 में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रसताव पारित किया गया था इसमें किसी भी तरह के उत्पीड़न की निंदा करते हुए उसे अमानवीय करार दिया था।विश्व जहां एक ओर विकास के नए आयाम छू रहा है, वहीं बढ़ता आतंकवाद और नस्लवाद भी मानवाधिकारों के लिए खतरा बने हुए हैं।

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