कल्पना कीजिए… सुबह-सुबह का समय… पक्षियों की चहचहाहट और हवा की मधुर सरसराहट के बीच आप भी बगीचे में ध्यान लगा रहे हैं, अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रीय कर रहे हैं… निश्चित ही यह एक सुखद अहसास है। यकीनन यह संगीत की ताकत है। वैसे भी कहा गया है कि संगीत मधुरता के साथ भावनाएं व्यक्त करने का ऐसा माध्यम है जो सीधा आत्मा को छूता है। संगीत को हमेशा से मानसिक स्वास्थ्य से जोड़ा गया है। संगीत इन्सान को खुश, दुखी या तनावपूर्ण बना सकता है। इसीलिए कोई आश्चर्य नहीं कि प्राचीन समय से संगीत को एक मरहम के रूप में प्रयुक्त किया गया है। यहां तक कि मेडिसिन के जनक कहे जाने वाले हिप्पोक्रेट्स भी विभिन्न बीमारियों में म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल करते थे। समय के साथ विज्ञान और तकनीक का विकास हुआ और आज इन्सान के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि म्यूजिक एक असरदार दवा के रूप में काम कर सकता है। जानिए म्यूजिक थेरेपी के बारे में –
मैजिक ऑफ म्यूजिक
म्यूजिक वास्तव में विभिन्न वायब्रेशन्स की सीरीज है, जो साउंड क्रिएट करते हैं। चूंकि शरीर इन वायब्रेशन्स को ग्रहण करता है, इसलिए इससे कई शारीरिक बदलाव भी होते हैं। म्यूजिक के प्रकार पर निर्भर करते हुए ये बदलाव अच्छे या बुरे हो सकते हैं। जहां शांत संगीत तनाव घटाता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है, वहीं ज्यादा शोर वाला संगीत लोगों को गुस्सैल बनाता है और आत्महत्या वाले विचार पैदा करता है। हालांकि संगीत के शरीर पर होने वाले असर का अब तक अध्ययन जारी है।
संगीत के असर को समझने के लिए बेथ इजराइल मेडिकल सेंटर के लुईस आर्मस्ट्रॉन्ग सेंटर ऑफ म्यूजिक एंड मेडिसिन में एक रिसर्च की गई। इसमें 32 हफ्तों वाले 272 प्री-मैच्योर नवजात शिशुओं को शामिल किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि इन नवजात शिशुओं को जब किसी भी रूप में संगीत (गाना या इंस्ट्रूमेंटल) सुनाया गया तो उनकी हार्ट रेट धीमी पड़ गई। इसमें भी गाने के बोल वाला संगीत ज्यादा असरदार रहा। इससे बच्चों के शांत, लेकिन अलर्ट रहने की आदत भी बढ़ी। इसी स्टडी के लेखक जोनन लोवी के मुताबिक, म्यूजिक थेरेपी से माता-पिता का तनाव भी कम हुआ है।
मनोवैज्ञानिक डेनियल जे. लेविटिन कहते हैं, ‘आजकल शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए गाने, ध्वनि और लय का बेहतर उपयोग किया जाने लगा है। यह न केवल नवजात शिशुओं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और कैंसर के मैनेजमेंट में भी सहायक है।’
डेनियल के अनुसार, ‘हमें इस बात के पुख्ता प्रमाण मिल चुके हैं कि ऑपरेशन थिएटर से लेकर फैमिली क्लिनिक तक में म्यूजिक हेल्थ-केयर की भूमिका निभा सकता है।’
उन्होंने अपनी एक किताब में विस्तार से बताया है कि किसी तरह संगीत सेहत को प्रभावित करता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि संगीत सुनने से शरीर में एंटीबॉडी इम्युनोग्लोबुलिन ए (आईजीए) का बनना तेज हो जाता है। साथ ही मारक क्षमता रखने वालीं सेल्स (कोशिका) बढ़ जाती है। इन सेल्स का काम विभिन्न वायरस के हमलों से रक्षा करना और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना है। साथ ही म्यूजिक तनाव तो कम करता ही है। यही कारण है कि म्यूजिक का संबंध रिलेक्सेशन से है।
क्या है म्यूजिक थेरेपी?
जब कोई मान्यता प्राप्त म्यूजिक थेरेपिस्ट अपने विभिन्न प्रकार के म्यूजिक की मदद से इन्सान को उसकी परेशानी या बीमारी से उबरने में सहायता करता है तो इसे म्यूजिक थेरेपी कहते हैं। म्यूजिक थेरेपिस्ट इस बात का गहरा जानकार होता है कि किस तरह संगीत लोगों में भावनात्मक प्रतिक्रियाएं पैदा कर उन्हें आराम और सुकून पहुंचा सकता है। म्यूजिक थेरेपिस्ट, इन्सान की बीमारी के हिसाब से उस म्यूजिकल स्टाइल का पता लगाता है, जो मरीज को ध्यान की अवस्था में पहुंचा सके और उसके लिए फिजिकल रिहेब सेशन के रूप में काम कर सके। है। म्यूजिक थेरेपिस्ट पता लगा लेते हैं कि मरीज को किस तरह का म्यूजिक पसंद है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की मैग्जीन ‘हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग’ में एक म्यूजिक थेरेपिस्ट हॉली चार्ट्रेंड का जिक्र है। ये हार्वर्ड से संबद्ध मैसेचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में म्यूजिक थेरेपिस्ट हैं। उन्होंने सबसे पहले एक सिंगर को तैयार किया। वह एक महिला थी, जिसके मन में म्यूजिक की मदद से दूसरों की मदद करने का विचार आया और उसने म्यूजिक थेरेपिस्ट बनने का ठान लिया। वह कहती हैं, ‘मेरे काम का सबसे अच्छा पक्ष यह देखना है कि जो शख्स अच्छा महसूस नहीं कर रहा है, संगीत उसकी जिंदगी में कितना बड़ा असर डाल सकता है।’
‘अमेरिकन जर्नल ऑफ होस्पाइस एंड पालिएटिव मेडिसिन’ मैग्जीन में लिखा है कि म्यूजिक थेरेपी से तनाव घटता है, मरीज रिलेक्स महसूस करता है, उसे दर्द से मुक्ति मिलती है, इमोशनल सपोर्ट मिलता है और अच्छा महसूस होता है। इस अध्ययन में 57 मरीजों और 53 परिजन को म्यूजिक थेरेपी दी गई थी। मरीजों ने बताया कि उन्हें तनाव और दर्द से मुक्ति मिली है।
इस तरह म्यूजिक जिदंगी की गुणवत्ता तो बढ़ाता ही है, बीमारी व अन्य विकार से उबरने में भी सहायक है।