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दलित, पिछड़ों और युवाओं को योगी के नए कैबिनेट में मिली तरजीह

भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल 18 नए चेहरों के जरिये साफ संदेश देने की कोशिश की है कि वह परंपरागत जातीय समीकरण के सहारे ही मिशन 2022 के रण में भी कूदने की तैयारी में जुट गई है। उसके लिए दलितों के साथ ही पिछड़े और ब्राह्मण समीकरण कुछ वैसा ही महत्वपूर्ण है और रहेगा, जैसा वर्ष 2017 के सियासी समर में रहा था।

पिछड़ों को सबसे ज्यादा महत्व
पार्टी ने मंत्रिमंडल में जो 18 नए चेहरे शामिल किए हैं, उनमें कमोबेश वैसा ही जातीय समीकरण देखने को मिला है जैसा वर्ष 2017 में मंत्रिमंडल गठन के वक्त था। पार्टी ने सबसे ज्यादा पिछड़ों और युवाओं के साथ दलितों पर ही भरोसा किया है। मंत्रिमंडल में शामिल 18 चेहरों में 8 पिछड़ी जातियों से हैं। इनमें अशोक कटारिया, विजय कश्यप, नीलिमा कटियार, चौधरी उदयभान सिंह, रमाशंकर सिंह पटेल, अजीत सिंह पाल व लाखन सिंह राजपूत प्रमुख हैं। इनमें जाट, गुर्जर, लोधी, कुर्मी, कहार जातियों के विधायक को तवज्जो दी गई है। पार्टी ने इसके जरिये ओबीसी की 40% आबादी को साथ रखने की कोशिश की है।.

दलितों को भी तवज्जो
नए शामिल हुए चेहरों में तीन दलितों के रूप में कानपुर नगर से कमल रानी वरुण, आगरा कैंट से डा. गिर्राज सिंह धर्मेश और संतकबीरनगर के घनघटा से विधायक श्रीराम चौहान प्रमुख हैं। पार्टी ने दलितों को शामिल कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह वास्तव में ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र पर काम कर रही है। पार्टी ने कुछ इसी तर्ज पर वर्ष 2017 में 19 मार्च को हुए मंत्रिमंडल के गठन में भी पांच दलितों के साथ 13 ओबीसी मंत्रियों को शपथ दिलाई थी। इस बार भी ओबीसी व दलित सबसे ज्यादा हैं।

2022 में भी 2017 वाला समीकरण
वर्ष 2017 के चुनाव में पार्टी ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे के साथ उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल किया था। इस चुनाव में उसने गैर यादव पिछड़ों और गैर जाटव दलितों को तवज्जो दी थी। इसके लिए चुनाव मैदान में उसने मुख्य रूप से ओबीसी और दलितों पर ही दांव लगाया था। इस बार मंत्रिमंडल में भी उन्हें शामिल कर वर्ष 2022 के लिए बिसात बिछाने की कोशिश की है।

छह युवा चेहरे
यही नहीं पार्टी ने इस बार मंत्रिमंडल में छह युवा चेहरों को शामिल किया है। नए चेहरों में छह ऐसे हैं जिनकी उम्र 41 से 50 वर्ष के बीच है। इन्हें शामिल कर पार्टी ने संगठन के युवा पदाधिकारियों के साथ कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि पार्टी में काम और मेहनत करने वाले युवाओं की भी इनाम मिल सकेगा। वहीं संगठन से अशोक कटारिया और संघ के प्रचारक व ब्रज क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रहे राम नरेश अग्निहोत्री को शामिल कर सरकार और संगठन में समन्वय की कोशिश की गई है ताकि सियासी समर में साथ मिल सके।

ब्राह्मणों को भी साथ रखने की कोशिश
भाजपा ने पिछड़ों-दलितों के बाद सबसे ज्यादा ब्राह्मणों पर दांव लगाया है। दरअसल, पार्टी यह नहीं चाहती कि बसपा या कांग्रेस ब्राह्मणों के जरिये अपने दलों को मजूबत करें। ब्राह्मण आजादी के बाद से कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते रहे हैं। ऐसे में पार्टी ने पांच ब्राह्मणों को शामिल किया है, जबकि वर्ष 2017 में सात ब्राह्मण मंत्रिमंडल में शामिल थे।

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