दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से पूछा है कि प्राथमिकी (एफआईआर) में उर्दू या फारसी शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है, जबकि शिकायतकर्ता इनका इस्तेमाल नहीं करते। कोर्ट ने कहा कि भारी-भरकम शब्दों की जगह सामान्य भाषा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
एफआईआर में उर्दू और फारसी शब्दों के इस्तेमाल पर रोक की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की बेंच ने दिल्ली पुलिस से कहा कि प्राथमिकी शिकायतकर्ता के शब्दों में होनी चाहिए। ऐसी भारी-भरकम और लच्छेदार भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, जिनका अर्थ शब्दकोश में ढूंढना पड़े।
पुलिस आम आदमी का काम करने के लिए है, सिर्फ उन लोगों के लिए नहीं जिनके पास उर्दू या फारसी में डॉक्टरेट डिग्री है। लोग जान सकें कि प्राथमिकी में लिखा क्या है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि उर्दू और फारसी शब्दों का इस्तेमाल पुलिस करती है या शिकायतकर्ता। इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।