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लोन के लिए इतना काफी नहीं – क्रेडिट स्कोर अच्छा है और खर्च के बाद पैसा भी बचता है? लोन के लिए इतना काफी नहीं

अगर आप आधी मंथली इनकम से ईएमआई चुका रहे हैं तो कर्ज मिलने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में आपका क्रेडिट स्कोर कितना भी अच्छा क्यों न हो, लोन मिलना आसान नहीं होगा। लोन देने वाला यह देखेगा कि आप अतिरिक्त ईएमआई का बोझ उठा सकते हैं या नहीं।

हाइलाइट्स

  • क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए, लेकिन जरूरी नहीं कि ऐसा होने पर लोन मंजूर हो ही जाए
  • लेंडर यह देखता है कि आप अतिरिक्त ईएमआई का बोढ उठा सकते हैं या नहीं
  • पक्का करें कि आप पर आमदनी के 50 पर्सेंट से अधिक कर्ज न हो
  • ध्यान रखें कि आप एक से ज्यादा लेंडर्स के पास न जाएं

28 साल के आतिश के लिए नकदी कभी कोई समस्या नहीं थी। बेंगलुरु की एक स्टार्टअप में सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट के तौर पर मिली नई जॉब ने आतिश के करियर को सही छलांग दी थी। मूलरूप से दिल्ली के रहने वाले आतिश को किराए के अपार्टमेंट के लिए फर्नीचर और अपने लिए कार खरीदना था ताकि नए शहर में लाइफ सेट हो जाए। आतिश का क्रेडिट स्कोर अच्छा था। ऐसे में उन्हें इस नई खरीदारी के लिए लोन से पैसे जुटाने में कोई समस्या नहीं थी।

क्रेडिट स्कोर अच्छा, पर लोन ऐप्लिकेशन खारिज!
इसी बीच परिवार में एक सदस्य के बीमार होने के कारण आतिश को एक दूसरे पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करना पड़ा। अपने क्रेडिट स्कोर को देखते हुए आतिश को इस बात का पूरा विश्वास था कि उनका लोन मंजूर हो जाएगा। अपने एजुकेशन लोन और क्रेडिट कार्ड बिल के समय से भुगतान के चलते आतिश की क्रेडिट हिस्ट्री काफी मजबूत थी। हालांकि इन सबके बावजूद उनका ऐप्लिकेशन खारिज हो गया।

कर्ज और आय का अनुपात रखें सही
लोन के लिए क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए, लेकिन जरूरी नहीं कि ऐसा होने पर लोन मंजूर हो ही जाए। अच्छे क्रेडिट स्कोर के बावजूद आतिश का डेट-टू-इनकम रेशियो 50 पर्सेंट से ज्यादा हो गया था, इसलिए उन्हें अतिरिक्त लोन देना बैंक के लिए सुरक्षित नहीं था। उन्होंने जो तीन कर्ज लिए थे, उनमें से दो यानी एजुकेशन और पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड थे, यानी इसके बदले उन्होंने कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी थी। लोन का आवेदन खारिज होने की एक वजह यह भी थी।

50-50 का रेशियो जरूरी
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए किसी शख्स की मासिक आय 50,000 रुपये है। वह हर महीने 15,000 रुपये की ईएमआई चुकाता है। अब अगर उनकी आधी आय को रोजमर्रा के खर्च के लिए निकाल दिया जाए, तो ईएमआई चुकाने के बाद उनके पास 10,000 रुपये और बचते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें और लोन मिल सकता है, जैसे- 10 लाख रुपये का होम लोन या 3 लाख रुपये का पर्सनल लोन, क्योंकि वह अतिरिक्त ईएमआई का बोझ बचे हुए 10,000 रुपये से उठा सकते हैं। अगर उनका मासिक खर्च बढ़कर 30,000 रुपये हो जाए, तो उन्हें कोई कर्ज नहीं देगा।

एक से ज्यादा लेंडर्स के पास जाने से बचें
लोन के लिए एक से ज्यादा लेंडर्स के पास जाने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इसका उलटा परिणाम हो सकता है। यह ‘लोन स्टॉकिंग’ के कारण होता है, जो लेंडर्स को ऐसे मामलों से बचाता है। लोन स्टॉकिंग का मामला तब बनता है, जब एक कस्टमर लोन लेने के लिए एक ही समय में कई लेंडर्स के पास जाता है। इसके पीछे कस्टमर की मंशा लेंडर्स को बिना बताए एक से ज्यादा लोन लेने की होती है। कई लेंडर्स के पास जाने की जगह, कस्टमर को रिसर्च के साथ सबसे बेहतर लेंडर्स के पास जाना चाहिए। ऐसे मामलों में कई बार लेंडर्स खुद ही दूसरे लेंडर्स के पास जाने का सुझाव दे देते हैं।

अच्छे क्रेडिट स्कोर के साथ ये भी जरूरी
लोन लेने के लिए पहले तो आपकी वित्तीय स्थिति ठीक होनी चाहिए। क्रेडिट स्कोर अच्छा बनाए रखें और पक्का करें कि आप पर आमदनी के 50 पर्सेंट से अधिक कर्ज न हो। एक ही समय में एक से ज्यादा लेंडर्स के पास जाने से भी बचिए।

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