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खगोल वैज्ञानिक बाह्यग्रहों में जीवन तलाश रहे हैं. एलन मस्क मंगल पर इंसानी बस्ती बसाने की योजना बना रह हैं. तो वहीं दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे दुनिया के खत्म हो जाने के खतरों के प्रति आगाह कर रही हैं. पृथ्वी से मानव जाति के खत्म होने की आशंकाएं भी बताई गई हैं. ऐसे ही एक शोध के मुताबिक एक समय ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर सांस लेने के लिए ऑक्सीजन नहीं बचेगी, जिससे पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा।
हाल ही में नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित “द फ्यूचरलाइफ स्पान ऑफ अर्थ ऑक्सीजनेटेड एटमॉस्फियर” शीर्षक अध्ययन के मुताबिक पृथ्वी पर ऑक्सीजन एक अरब साल बाद खत्म हो जाएगी. शोध में यह भी साफ कहा गया है कि भले ही यह निकट भविष्य में ना हो, जब भी होगा बहुत तेजी से होगा।
यह बदलाव हमारे नीले ग्रह पर उसी तरह से होगा जिसे 2.4 अरब साल पहले द ग्रेट ऑक्सीडेशन इवेंट कहा जाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सुदूर भविष्य में पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन आधारित जैवसंकेत का जीवन काल संदिग्ध हो जाएगा।
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि ऑक्सीजन के बिना पृथ्वी के वायुमंडल का क्या हाल होगा. पृथ्वी पर ऑक्सीजन के स्तर पुरातन स्तर तक पहुंच जाएगें, लेकिन यह पृथ्वी के जलवायु सिस्टम में नम ग्रीन हाउस गैस छा जाने और वायुमंडल में सतह के पानी का तेजी से चलने जाने के काफी पहले हो जाएगा।
संवाददाता अदिति सिंह
द अचीवर टाइम्स लखनऊ