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लाखाें रुपये खर्च कर दिये फिर भी नहीं लड़ पाएंगे ग्राम प्रधान चुनाव, जानिए वजह

पंचायत चुनाव में आरक्षण की सूची जारी हुई है तो जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख और गांव सभा के करीब ढाई सौ दिग्गजों के अरमानों पर पानी फिर गया है। साथ ही अब तक समर्थकों की खातिरदारी में लाखों रुपये लुटाने के बाद भी मायूसी हाथ लगी है। जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत में कई ऐसे दिग्गज हैं, जिन्हें अब अपना क्षेत्र बदल कर दूसरे वार्ड की ओर रुख करना पड़ेगा। साथ ही कई नामचीनों को राहत भी मिली है।

विधानसभा का सेमीफाइनल माने जाने वाले पंचायत चुनाव में इस बार कुछ ज्यादा ही पागलपन था। सबसे अधिक दिग्गजों में खास उत्साह देखने को मिला। इसके पीछे जिला पंचायत, ब्लाक प्रमुख और गांव सभाओं को मिलने वाली भारी भरकतम ग्रांड रही। इसी के साथ जिला पंचायत से लेकर गांवों में दिग्गजों ने पहले से ही चुनावी चौसर बिछाना शुरू कर दिया था। हालात यह थे कि तमाम संभावित दावेदार समर्थकों को दावतें दे रहे थे। अब तक लाखों रुपये खर्च किए जा चुके थे। हालात यहां तक हो चुके थे कि कुछ दिग्गजों ने तो खुद को जीता हुआ ही समझ लिया था, लेकिन बुधवार तड़के जारी की गई आरक्षण सूची ने सब किए-धरे पर पानी फेर दिया। पिछले कई महीने से जिला पंचायत अध्यक्ष पद की तैयारी कर रहे भाजपा के एक दिग्गज नेता को अपना क्षेत्र छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है। वहीं चार बार के जिला पंचायत सदस्य भी आरक्षण सूची के चलते इस बार कड़े संघर्ष में फंस गए हैं। इसके साथ ही पूर्व ब्लाक प्रमुख एवं जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार की पत्नी का खेल बिगड़ गया है। उनकी पत्नी वाले वार्ड को दलित वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। उधर, कई ऐसे दिग्गज हैं उन्हें राहत मिली है। बसपा के एमएलसी की पत्नी वाले क्षेत्र को महिलाओं के ही आरक्षित रखा गया है। यदि वह चुनाव लड़ती हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। इसी तरह पड़ोसी जिले के विपक्षी चचिर्त विधायक के मामा को भी राहत मिल गई है। उनका क्षेत्र भी पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है। इसके अलावा ब्लाक प्रमुखों के पदों पर भी कई स्थानों पर जोरदार टक्कर होने के आसार बन गए हैं।

गांव सभाओं में भी अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित की गईं करीब 100 ऐसी गांव सभा हैं, जहां पर दिग्गजों को बड़ी उम्मीद थी कि सीट सामान्य में रहेगी। इसी तरह 249 पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई गांव सभाओं में भी 150 गांव सभा ऐसी है, वहां पर भी सामान्य के लिए होने की संभावना मान कर चला जा रहा था। इससे इन गांव सभाओं पर तमाम दिग्गजों का हौसला काफी ऊंचा था। लेकिन चक्रानुपात में हुए आरक्षण ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब तैयारी में जुटे दिग्गजों के पास एक ही रास्ता बचा है। वह रिजर्व हुई गांव सभाओं पर मौहरे तलाशने में जुट गए हैं।

संवाददाता सुष्मिता गौड़
द अचीवर टाइम्स लखनऊ

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