Related Articles
दलित महिला प्रोफेसर शोभना नार्लीकर सोमवार को विश्वविद्यालय के सेंट्रल ऑफिस के सामने धरने पर बैठ गईं। महिला प्रोफेसर की मानें तो दलित होने के नाते विश्वविद्यालय में उनका मानसिक शोषण किया जा रहा है। शोभना नार्लीकर पत्रकारिता जनसंचार विभाग में प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं।
प्रोफेसर शोभना नार्लीकर ने आरोप लगाया कि 2013 से लगातार विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अफसर और विभाग के प्रोफेसर दलित होने के नाते उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। रेगुलर काम करने के बावजूद उन्हें कार्यालय में लीव विदाउट पे दिखाकर उनकी सीनियारिटी को प्रभावित किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से लेकर कई अफसरों को उन्होंने इसकी शिकायत की है। लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नही हो रही है।
प्रोफेसर शोभना नार्लीकर ने ये भी आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अफसर और विभाग के कुछ प्रोफेसर चाहते हैं कि मैं विभागाध्यक्ष न बन सकूं। इसलिए वो हर बार ऐसा करके मेरी सीनियारिटी को खराब कर रहे हैं।
शोभना नार्लीकर ने ये भी आरोप लगाया कि विभाग में जब वो क्लासेस लेती हैं तो विभाग के अन्य प्रोफेसर उन्हें ज्यादा क्लासेस लेने से रोकते हैं। उनका कहना है कि वो दलित हैं इसलिए उनके साथ ऐसा भेदभाव किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के सेंट्रल ऑफिस के सामने महिला प्रोफेसर के धरने की जानकारी के बाद विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अफसरों में हड़कंप मचा है।
संवाददाता प्रियंका मिश्रा
द अचीवर टाइम्स लखनऊ