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चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने एनजीओ की याचिका को नामंजूर करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह याचिका इमारत मालिकों को ब्लैकमेल करने के इरादे से दाखिल की गई है। बेंच ने एनजीओ की दलील को सुनने से इनकार करते हुए कहा कि यह कोई जनहित याचिका नजर नहीं आ रही है। यह याचिका ‘प्रेरणा एक दिशा’ नामक संस्था द्वारा दाखिल की गई थी। बेंच ने कहा कि इस याचिका में इमारत के मालिकों को भी पक्षकार नहीं बनाया गया। बेंच ने एनजीओ पर जुर्माना लगाते हुए कहा कि वह विधिक सेवा प्राधिकरण में जुर्माना रकम जमा कराए। बेंच ने कहा कि किसी भी याचिका पर सुनवाई के लिए पुख्ता व ठोस आधार होना जरूरी है। साथ ही याचिका में निर्माण को लेकर कानूनी व गैरकानूनी पक्ष भी स्पष्ट होने चाहिए, लेकिन इस याचिका में ऐसा कुछ नहीं पाया गया।
ऐसी ही एक अन्य याचिका पर भी लगा 25 हजार का जुर्माना बेंच ने इसी तरह की एक और याचिका के लिए याचिका कर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इस याचिका में भी दक्षिणी दिल्ली में अनाधिकृत निर्माण की बात कही गई थी। बेंच ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं काम में बाधा उत्पन्न करने वाली होती हैं। बेंच ने यह भी कहा कि अगर निर्माण कार्य चल रहा है और सामान सड़क पर पड़ा है तो यह अनाधिकृत कार्य नहीं है, बल्कि इसके लिए कानून में अलग प्रावधान है। बेंच ने कहा कि लोगों को इसकी जानकारी होनी चाहिए। बेंच ने कहा कि इस तरह के फोटोग्राफ पेश कर निर्माण कार्य को गैरकानूनी घोषित नहीं किया जा सकता।
दरअसल, इस मालमे में याचिका कर्ता ने याचिका के साथ बहुत सारी तस्वीरें लगाईं थी जिसमें निर्माण संबंधी सामग्री सड़क पर पड़ी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह निर्माण गैरकानूनी तरीके से किया जा रहा है।
संवाददाता अंगद मौर्या
द अचीवर टाइम्स लखनऊ