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बालाकोट एयर स्ट्राइक में शामिल शीर्ष अधिकारियों ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को भ्रमित करने के लिए कोड नाम ‘बंदर’ जानबूझकर चुना गया था, जिसका संदर्भ जैश-मोहम्मद के हेडक्वार्टर से था, जहां आतंकी मसूद अजहर सुरक्षित रूप से रह रहा था। एयरस्ट्राइक से पहले पाकिस्तानी इंटेलीजेंस को धोखे में रखने के लिए राजस्थान के आसमान में भारतीय फाइटर विमान उड़ाए गए, जिससे कि पाकिस्तान का पूरा ध्यान इस ओर आ जाए और भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में वो अपनी पूरी ताकत इस ओर लगा दे। इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय सेना के अपग्रेडेड मिराज 2000 ने 90 किलोग्राम वजनी स्पाइस 2000 के पेनेट्रेटर बॉम्ब बरसाए। इस दौरान पाकिस्तान का सबसे नजदीकी एयरक्राफ्ट करीब 150 किलोमीटर दूर था। अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने जानबूझकर एयर स्ट्राइक के लिए 26 फरवरी का दिन इसलिए चुना था, क्योंकि ये पूर्णिमा की रात थी। पीर पंजाल रेंज से नीचे उड़ते हुए पाकिस्तानी रडार को धोखा देने में भारतीय वायुसेना सफल रही। अधिकारियों के मुताबिक, सभी पांच बमों को पाकिस्तान की पांच जगहों पर सुबह तड़के 3 बजे पर गिराया गया। हालांकि, छठे बम में तकनीकी दिक्कत के चलते आग नहीं लगी और यह विस्फोट नहीं कर पाया।
बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान भारतीय वायुसेना ने आतंकियों के पूरे कैंप को नेस्तानाबूद कर दिया, मगर सिर्फ एक मस्जिद के ठिकाने को बिना कोई नुकसान पहुंचाए छोड़ दिया गया था, जहां फज्र की नमाज की तैयारी शुरू हो गई थी।बालाकोट एयर स्ट्राइक का मिशन पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री नेरंद्र मोदी ने सभी वरिष्ठ मंत्रियों, शीर्ष पीएमओ अधिकारियों, कैबिनेट और तत्कालीन वायु सेना प्रमुख के साथ एक बैठक बुलाई। इस बैठक में पीएम ने इंटेलिजेंस , खासकर रॉ को धन्यवाद दिया था, जिसने बड़ी भूमिका निभाई थी। भले ही इस सफलता का जश्न पूरा देश मना रहा था, मगर राष्ट्रीय सुरक्षा योजना बनाने वाले लोग आखिरी मिसाइल के न फटने को लेकर चिंतित थे।
भारतीय वायु सेना की तरफ से पाकिस्तान स्थित बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर ‘मिशन बंदर’ को सिर्फ 90 सेकेंड के भीतर अंजाम दिया गया था और इस ऑपरेशन के लिए जिस तरह की सीक्रेसी रखी गई थी उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे अंजाम देने वाले पायलट के परिवार के सदस्यों को भी इस बारे में कुछ नहीं मालूम था। इस तरह के भारतीय वायुसेना के हमले में पहली बार इस्तेमाल किए गए मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के एक पालयट ने बताया था कि “यह 90 सेकेंड में पूरा हो गया था, हमने बम फेंका और वापस लौट आए।” जबकि, नाम न बताने की शर्त पर भारतीय वायु सेना के एक अन्य पायलट ने कहा था यहां तक के मेरे परिवार के सदस्यों को भी नहीं मालूम था।
पत्रकार रिया
द अचीवर टाइम्स लखनऊ