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क्या राकेश टिकैत को जल्द लगने वाला बड़ा झटका, गाजीपुर बॉर्डर से आ सकती है बुरी खबर…

दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन 86वें दिन में प्रवेश कर गया।

किसान शाहजहांपुर सिंघु टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में जमा हैं और तीनोें केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर जहां युवा प्रदर्शन से दूरी बनाने लगे हैं तो गाजीपुर बॉर्डर पर भी हालात कुछ ठीक नहीं हैं।
नई दिल्ली/गाजियाबाद। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। इस बीच शुक्रवार को दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन 86वें दिन में प्रवेश कर गया। दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (शाहजहांपुर, सिंघु, टीकरी और गाजीपुर) पर किसान बड़ी संख्या में जमा हैं और तीनोें केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं, दिल्ली से सटे सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर जहां युवा धरना-प्रदर्शन से दूरी बनाने लगे हैं तो गाजीपुर बॉर्डर पर भी हालात कुछ ठीक नहीं हैं।

यूपी गेट पर कम होती जा रही प्रदर्शनकारियों की तादाद

जागरण संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजीपुर बॉर्डर पर तीनों कृषि कानूनों के विरोध में बैठे प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। बृहस्पतिवार को एक तरफ प्रदर्शनकारियों ने रेल रोकने की घोषणा कर रखी थी और दूसरी तरह यूपी गेट धरनास्थल पर प्रदर्शनकारी और कम हो गए। मंच के सामने ही कुछ प्रदर्शनकारी बैठे रहे, जबकि उनके अधिकांश पंडाल खाली दिखाई दिए। शाम होते-होते प्रदर्शनकारियों की संख्या और कम हो गई। वहीं शाम को ईंधन के बढ़ते दामों के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टर साथ लेकर पैदल मार्च किया और धरनास्थल पर विरोध जताया। 28 नवंबर को जब प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर धरने पर बैठे थे तो उनकी संख्या ठीक-ठाक थी।

जागरण संवाददाता से मुताबिक, पिछले महीने गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च के नाम पर दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार घट रही है। धरनास्थल पर लगाए गए पंडाल खाली हो गए हैं और मंच के सामने भी भीड़ कम होने लगी है। बृहस्पतिवार को प्रदर्शनकारियों द्वारा रेल रोको आंदोलन की घोषणा की गई थी। बावजूद इसके किसान लगातार प्रदर्शनस्थल छोड़कर जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मार्च-अप्रैल में गेंहू की कटाई के दौरान किसानों की संख्या में और कमी आएगी क्योंकि कोई भी अपना आर्थिक नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं है।

राकेश टिकैत ने फिर दोहराया- ‘कानूनों की वापसी तक घर नहीं जाएगा किसान’

वहीं, हरियाणा के कई इलाकों में गए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने खरकपूनिया गांव और बालसमंद में किसान पंचायत को संबोधित करते हुए फिर दोहराया कि जब तक एमएसपी को लेकर कानून नहीं बनाया जाता तथा तीनों कृषि कानूनों की वापसी नहीं होती तब तक किसान की घर वापसी नहीं होगी।

राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कह रही है कि दो माह में अपने आप कृषि कानून विरोधी आंदोलन खत्म हो जाएगा। क्योंकि किसान तो फसल काटने के लिए गांव चला जाएगा। सरकार किसी भ्रम में ना रहे किसान को चाहे अपनी खड़ी फसलों में आग लगानी पड़े। एक फसल की कुर्बानी देनी पड़े पर आंदोलन समाप्त नहीं होगा।

पत्रकार अदिति सिंह

द अचीवर टाइम्स लखनऊ

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