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ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज के हर मैच की तरह पांचवें टेस्ट में भी दमदार शुरुआत की. उसने डेविड बून (107) के शतक की मदद से पहली पारी में 346 रन ठोक दिए. भारत की शुरुआत खराब रही. दूसरे दिन का खेल रुकने पर उसका स्कोर 5 विकेट पर 135 रन था. पर्थ की पिच तब दुनिया की सबसे खतरनाक और बाउंसी होती थी. गेंद सीटी बजाती हुई बल्लेबाजों के कान के पास से गुजरती. शायद ऐसी ही आवाज को ‘चिन म्यूजिक’ कहा जाता था. लग रहा था कि भारतीय पारी तीसरे दिन सुबह सिमट जाएगी ओर टीम शायद ही 200 रन का आंकड़ा छू सके.
लेकिन 19 साल के सचिन तेंदुलकर ने कुछ और ही सोच रखा था. सचिन तेंदुलकर दुनिया की सबसे बाउंसी पिच पर क्रेग मैक्डरमट, मर्व ह्यूज, पॉल राइफल और माइक व्हिटनी की आग बरसाती गेंदों को ऐसे खेल रहे थे, जैसे कोई छोटा बच्चा मस्ती में शरातत कर रहा हो. सचिन ने 161 गेंद पर 114 रन बनाए. उनकी पारी में 16 चौके शामिल थे, जो इस बात का सबूत थे कि उन्होंने मनचाहे अंदाज में गेंद को बाउंड्री के पार भेजा था. सीने और सिर की और आती गेंदों पर सचिन के कट और पुल शॉट देखकर दुनिया हैरान थी. इसी मैच में बाद में डीन जोंस और टॉम मूडी ने भी शतक बनाए. भारत यह मैच 300 रन से हार गया. लेकिन आज चाहे भारतीय क्रिकेटप्रेमी हों या ऑस्ट्रेलियाई, हर किसी को पर्थ टेस्ट याद करने पर सबसे पहले सचिन की पारी ही याद आती है.यह भी पढ़ें: IND vs ENG: मोहम्मद सिराज और इशांत शर्मा में टक्कर! क्या चेन्नई में अनुभव पर भारी पड़ेगा जोश
वह सचिन तेंदुलकर के इंटरनेशनल करियर का महज तीसरा शतक था. सचिन ने उसके बाद 97 शतक और लगाए. लेकिन आज भी जब सचिन की महान पारियों का जिक्र होता है तो उस 114 रन को जरूर याद किया जाता है. सचिन ने उस दिन बता दिया था कि पिच चाहे बल्लेबाजों के लिए कब्रगाह हो या गेंदबाजों के लिए ऐशगाह, जब वे क्रीज पर होते हैं तो सिर्फ उनका राज ही चलता है. सचिन ने अगले 20 साल तक मैदान पर राज किया और आज भी क्रिकेटप्रेमियों के दिलों में राज कर रहे हैं.
प्रियंका मिश्रा
द अचीवर टाइम्स लखनऊ