सिद्धार्थनगर (सुनील गुप्ता): प्रदेश सरकार जहाॅ एक तरफ बच्चो का भविष्य सुधारने स्वास्थ व पढ़ाई पर ध्यान देने का ढिढोरा पीट रही है। वही कोरोना महामारी की वजह से करीब 8 महीनों से विद्यालय बंद है।
प्रदेश के सभी छात्र व छात्राओं का पढ़ाई बंद है जिसकी वजह से सबका भविष्य बर्बाद हो रहा है। जहाँ शहरी क्षेत्र के विद्यालय जैसे तैसे ऑनलाइन पढाई कराने का दावा कर रहे है वहीँ ग्रामीण क्षेत्रों में छात्र जागरूकता की कमी या सुविधाओं के अभाव में ऑनलाइन पढाई से वंचित हैं । इस बात पर न किसी मंत्री व उच्चाधिकारी की नजरे पड़ रही है, न ही प्रदेश सरकार के नजरों में यह दिखाई पड़ रहा है।
विद्यालय बंद होने की वजह से जहाँ एक तरफ बच्चों का भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है वहीँ दूसरी तरफ निजी विद्यालयों में कार्य कर रहे अध्यापकों के सामने बेरोजगारी की स्थिति खड़ी हो गई है। तमाम प्राइवेट शिक्षक कर्मियों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है यहाँ तक की परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है, तमाम शिक्षक कर्मीयों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। निजी विद्यालय संचालक बिना फीस प्राप्त के अपने अध्यपकों को वेतन देने में अक्षम हैं, कारण ग्रामीण क्षेत्रों की सस्ती फीस ही विद्यालयों के व्यवस्था का माध्यम है, वहाँ बच्चों के स्कूल ना आने से अभिभावक बिलकुल भी फीस जमा नहीं कर रहे ।
ऐसी स्थिति में प्राइवेट शिक्षक कर्मियों में काफी आक्रोश है। एक निजी विद्यालय के अध्यापक सद्दाम खान ने कहा जब सब कुछ खुल गया तो विद्यालय क्यों नही? बाजार लग सकते है, गाड़ियां चल सकती है शादी विवाह हो सकते है चुनाव प्रचार हो सकते है जब सब कुछ हो सकता है तो आखिर विद्यालय क्यों नही खुल सकते है? जब की बाजारों,चौराहों व आदि स्थानों पर कही पर भी मास्क व सोशल डिस्टेसिग का पालन नही दिख रहा है।
ऐसी स्थिति में यदि सरकार प्राइवेट शिक्षक कर्मियों की आर्थिक मदद नहीं करती है तो विकट स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।
कोरोना महामारी बच्चों के पढ़ाई मे बाँधा बनी हुई है । जिससे देश के होनहार बच्चो का भविष्य बर्बाद हो रहा है। निजी विद्यालय संचालकों एवं प्राइवेट शिक्षकों ने स्थिति को ध्यान मे रखकर प्रदेश की योगी सरकार को विद्यालय को भी खोलने का आदेश जारी करने की अपील की है । देखना होगा कि इस गंभीर विषय पर सरकार कब तक निर्णय लेती है ।