कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व होता है। इस एकादशी को देवउठनी, देवोत्थान, ठिठूअन और देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाता है। देवउठनी एकादशी के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा के बाद जागते हैं। यह एकादशी दिवाली के बाद मनाई जाती है। देवउठनी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी तरह के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इस तिथि पर तुलसी विवाह भी किया जाता है। सभी एकादशियों में देवउठनी एकादशी व्रत को अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जगते ही चतुर्मास भी समाप्त हो जाएगा। देवउठनी एकादशी के बाद विवाह कार्यक्रम आरंभ हो जाएंगे।
विवाह के शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी शुरू होने के बाद से विवाह जैसे सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। फिर चार महीनों के बाद देवउठनी एकादशी यानी 25 नवंबर के बाद शादियां शुरू हो जाएगी। इस वर्ष में नवंबर और दिसंबर दो माह ही शेष है ऐसे में शादी के 10 दिन ही मुहर्त है। नया साल शुरू होते ही गुरु अस्त होने पर एक बार फिर से शादी का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होगा। इसके बाद अप्रैल 2021 में शादियों के शुभ मुहर्त होंगे।
नवंबर और दिसंबर माह में विवाह के शुभ मुहर्त
देवउठनी पर विवाह का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद 27 और 30 नवंबर को विवाह कार्यक्रम संपन्न किया जा सकता है। फिर नया महीना दिसंबर आरंभ हो जाएगा जिसमें 1, 6,7,9,10 और 11 दिसंबर को विवाह का शुभ मुहूर्त है। 15 दिसंबर से एक बार फिर से मलमास लग जाने की वजह से विवाह का शुभ मुहर्त नहीं होगा। इसके बाद गुरु और शुक्र के अस्त होने की वजह से विवाह का मुहूर्त नहीं होगा।
देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी पर सिद्धि, महालक्ष्मी और रवियोग जैसे शुभ योग बन रहा है। जिस कारण से इस एकादशी पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और देवी तुलसी की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होगी। देवोत्थान एकादशी व्रत 25 नवंबर, बुधवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को एकादशी तिथि दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से लग जाएगी। वहीं एकादशी तिथि का समापन 26 नवंबर को शाम 5 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।