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प्रदूषण के चलते दिल्ली में लगातार पांचवें दिन और भी बुरा हाल

प्रदूषण के चलते दिल्ली में लगातार पांचवें दिन और भी बुरा हाल है। आज सवेरे आनंद विहार, मुंडका, ओखला (फेज-2) और वजीरपुर में एक्यूआई क्रमशः 484, 470, 465 और 468 रिकॉर्ड किया गया। प्रदूषण के लिहाज से सभी इलाके गंभीर स्थिति में हैं।  दिल्ली के अलावा एनसीआर में भी कोई राहत नहीं है।

कल हवा की गति शांत पड़ने से दिल्ली समेत एनसीआर के सभी शहरों के ऊपर स्मॉग की चादर छाई रही। इसके लिए पंजाब और आसपास के अन्य राज्यों में पराली जलाए जाने को ही कारण माना जा रहा है। रविवार को भी पूरे एनसीआर की हवा में प्रदूषण 400 के पार गंभीर स्तर पर बना रहा। प्रदूषण पर काबू पाने के सभी उपाय विफल हो चुके हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि अगले दो दिन भी ऐसे ही हालात बने रहेंगे। रविवार को देश का सबसे प्रदूषित शहर उत्तर प्रदेश का आगरा रहा जबकि दूसरा नंबर गाजियाबाद था।

हर साल सर्दी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा को जहरीला होने से रोकने के लिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) का ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू किया जाता है। इस बार भी 15 अक्तूबर से ग्रैप लागू किया गया था, लेकिन प्रशासनिक तालमेल की कमी के चलते बेअसर साबित हो रहा है।

इसी के चलते रविवार को भी हालात बदतर रहे। घने प्रदूषण की वजह से दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में दिन भर घर से बाहर निकले लोगों की आंख में जलन के साथ सांस लेने में परेशानी की समस्या दिखाई दी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 426 रहा, जो गंभीर श्रेणी में आता है।

दिल्ली के 35 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 31 में हवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानी सिस्टम ‘सफर’ का आकलन है कि सतह पर चलने वाली हवाएं तकरीबन शांत पड़ी हैं। इससे पराली के धुएं का हिस्सा कम होने के बावजूद हवा की गुणवत्ता पर खास सुधार नहीं दिखा।

हवाओं के शांत पड़ने से प्रदूषक तत्व और पीएम10 व पीएम 2.5 जैसे महीन धूल कण दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। नतीजतन हवा गंभीर स्तर तक प्रदूषित बनी हुई है। वहीं, अगले दो दिन तक मौसम में खास बदलाव न होने से हवा की गुणवत्ता में सुधार की कोई उम्मीद भी नहीं है।

ये हैं प्रदूषण के प्रमुख कारण
पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही फसलों की पराली
महंगी डीजल गाड़ियों से निकलने वाला काला धुआं
निर्माण गतिविधियों के कारण उड़ने वाले पीएम कण्र
सड़कों पर फैली धूल के उड़ने से बढ़ने वाले पीएम कण
उद्योगों से निकलने वाला उत्सर्जन

यह नहीं हुआ इस बार
अभियान चलाकर नहीं हटाई गई पेड़ों की धूल
सड़कों की धूल हटाने के लिए सप्ताह में दो बार नहीं हो रही धुलाई
धूल उड़ने से रोकने के लिए कैमिकल युक्त पानी का छिड़काव नहीं
कच्ची सड़कों से उड़ने वाली धूल को रोकने के उपाय नहीं
निर्माण गतिविधियों में धूल रोकने के मानक पूरे नहीं

पराली के धुएं का हिस्सा 29 फीसदी
सफर के मुताबिक, शनिवार को पंजाब, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड व पड़ोसी राज्यों में 3780 मामले पराली जलाने के रिकार्ड किए गए। शुक्रवार को यह संख्या 4528 थी। हालाकि, दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा में पराली के धुएं के कारण पीएम2.5 कणों का हिस्सा रविवार को 29 फीसदी रहा, जबकि पांच नवंबर को यह 42 फीसदी तक चला गया था। शनिवार को यह 32 फीसदी था।

आगरा रहा देश का सबसे प्रदूषित शहर, गाजियाबाद दूसरे पर
सीपीसीबी के डाटा के हिसाब से रविवार को आगरा देश का सबसे प्रदूषित शहर आंका गया, लेकिन दूसरे नंबर पर एनसीआर का गाजियाबाद मौजूद था। सीपीसीबी की तरफ से जारी देश के 111 शहरों के एक्यूआई में आगरा का सूचकांक 458 रिकार्ड किया गया। वहीं, गाजियाबाद का एक्यूआई 456 अंक रहा। टॉप दस प्रदूषित शहरों में एनसीआर के सभी शहर शामिल रहे। सीपीसीबी की लिस्ट में सबसे स्वच्छ हवा मेघालय की राजधानी शिलांग की है। वहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 19 पर रिकार्ड किया गया है। दिलचस्प यह कि 111 शहरों में सिर्फ पांच शहरों कन्नून, एल्लोर, तिरुवंतपुरम और चिकबल्लापुर की हवा अच्छे स्तर पर यानी 50 से नीचे एक्यूआई वाली है।

एनसीआर के सबसे प्रदूषित शहर
गाजियाबाद      456
ग्रेटर नोएडा      440
गुरुग्राम          434
नोएडा           428
फरीदाबाद       426
दिल्ली           416

देश के सबसे प्रदूषित शहर
आगरा           458
गाजियाबाद      456
भिवाड़ी             445
ग्रेटर नोएडा      440
कानपुर           436
बुलंदशहर        435
गुरुग्राम           434

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