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नवरात्रि का छठा दिन होता है देवी कात्यायनी का

नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यायनी का होता है। 22 अक्तूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस तिथि पर देवी के कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में मां कात्यायनी की आराधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं माता के इस रूप का कैसा है स्वरूप, पौराणिक कथा, पूजा विधि और मंत्र…

माता का स्वरूप 
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है।

मां कात्यायनी की पौराणिक कथा 
मां दुर्गा के इस स्वरूप की प्राचीन कथा इस प्रकार है कि एक प्रसिद्ध महर्षि जिनका नाम कात्यायन था, ने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए उनकी कठिन तपस्या की। कई हजार वर्ष कठिन तपस्या के पश्चात् महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलायीं। ये बहुत ही गुणवंती थीं। इनका प्रमुख गुण खोज करना था। इसीलिए वैज्ञानिक युग में देवी कात्यायनी का सर्वाधिक महत्व है। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन जातक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने के कारण मां कात्यायनी के सहज रूप से  दर्शन प्राप्त होते हैं। साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है।

कात्यायनी देवी की पूजा का महाउपाय 
यदि किसी व्यक्ति की शादी में तमाम तरह की अड़चनें आ रही हैं या फिर वैवाहिक जीवन में कोई समस्या है तो आज के दिन ऐसे जातकों को माता की विशेष रूप से पूजा-आराधना करनी चाहिए। आज के दिन मां कात्यायनी की विधि पूर्वक स्तुति करने से सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जिन साधकों को विवाह से सम्बंधित समस्या है, इस दिन मां को हल्दी की गांठे माता को अर्पित करने से मां उन्हें उत्तम फल प्रदान करती हैं।

मां कात्यायनी की पूजा विधि
नवरात्रि के छठवें दिन स्नान-ध्यान के पश्चात् लाल रंग के कपड़े पहन कर मां कात्यायनी की प्रतिमा या फोटो के सामने माता का ध्यान करें। इसके बाद कलश आदि पूजन करने के बाद के बाद मां कात्यायनी की पीले रंग के फूलों से विशेष पूजा अर्चना करें। पूजा के पश्चात् मां कात्यायनी की वंदना या श्लोक पढ़ना करना न भूलें। इसके पश्चात् मां का स्त्रोत पाठ करें और फिर मां को पीले नैवेद्य का भोग लगाएं।

इन मंत्रों से करें मां कात्यायनी की आराधना 
वंदना मंत्र  
कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

 

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