फर्जी कागजात के आधार पर 1990 में शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में जारी वारंट-बी पर मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब के रोपड़ जेल से लाने गई जनपद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। डॉक्टरों ने मुख्तार अंसारी की रीढ़ की हड़्डी में समस्या, मधुमेह और डिप्रेशन की बीमारी से पीड़ित बताते हुए तीन माह तक बेड रेस्ट की सलाह दी है।
मुख़्तार अंसारी के धोखे से कागजात तैयार कराकर शस्त्र लाइसेंस लेने तथा इस काम में सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों की मदद मिलने की बात सामने आई थी। इसके बाद मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई थी। फिर वर्ष 1997 में चार्जशीट दाखिल की गई। इसमें मुख्तार, रुद्र प्रताप शस्त्र लिपिक, दिलदार अहमद आयुष लिपिक, मुहम्मद अरशद लिपिक, राम लखन सिंह डिप्टी कलेक्टर आरोपी बनाए गए।
इस मामले में मुख्तार को 21 अक्तूबर को प्रयागराज में विशेष कोर्ट में पेश होना है। इसके मद्देनजर मुख्तार को लेने जनपद पुलिस की टीम 18 अक्तूबर को पंजाब पहुंची थी। वहां बताया गया कि मुख्तार की तबीयत ठीक नहीं है। रोपण के सिविल सर्जन डॉ. दविंदर कुमार ने बताया कि डॉक्टरों का बोर्ड बनाकर मुख्तार अंसारी का मेडिकल किया गया था। उसकी रीढ़ की हड्डी में समस्या है और वह शुगर के अलावा डिप्रेशन की बीमारी से भी पीड़ित है। डॉक्टरों ने मुख्तार अंसारी को तीन महीने का बेड रेस्ट करने की सलाह दी है।
रोपड़ जेल प्रशासन ने इसी मेडिकल के आधार पर यूपी पुलिस को मना किया है कि मुख्तार अंसारी इतना लंबा सफर करने के लिए सक्षम नहीं है।
उधर, गाजीपुर के एसपी डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि बीमारी के कारण मुख्तार अंसारी को पंजाब के रोपड़ जेल से गाजीपुर पुलिस को नहीं सौंपा गया है। इस कारण पुलिस टीम लौट आई। वस्तुस्थिति से न्यायालय को अवगत कराया जाएगा।