हाल ही में थाईलैंड ने हिंद महासागर में बनने वाली क्रा नहर परियोजना से हाथ खींचकर चीन को बड़ा झटका दिया है। अब थाईलैंड ने दावा किया है कि इस परियोजना के निर्माण को लेकर भारत समेत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कई देशों ने रुचि दिखाई है और इसके बारे में वह विचार करेगा। थाईलैंड ने कहा है कि करीब 30 से अधिक विदेशी फर्मों ने नहर निर्माण में रुचि दिखाई है।
इससे पहले चीन ने थाईलैंड के साथ मिलकर हिंद महासागर में 120 किलोमीटर की मेगा नहर काटने की महत्वाकांक्षी परियोजना बनाई थी। यदि थाईलैंड इस परियोजना से हाथ न खींचता तो चीन को दक्षिण सागर से हिंद महासागर पहुंचने के लिए मलक्का जलडमरूमध्य होते हुए गुजरने की जरूरत नहीं पड़ती और दूरी काफी कम हो जाने से ईंधन की भी भारी बचत होती।
थाई समाचार पत्र ने परियोजना की व्यवहार्यता का अध्ययन करने वाले थाई नेशन पावर पार्टी के सांसद सोंगक्लोड थिप्पारत के हवाले से कहा है कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका निश्चित रूप से थाईलैंड का समर्थन करने के इच्छुक हैं। वे हमारे साथ हैं और ज्ञापन पर दस्तखत करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, 30 से ज्यादा विदेशी फर्म इस परियोजना में वित्तीय और तकनीकी मदद के साथ हमें निवेश व आपूर्ति में रुचि दिखा रही हैं।
मलक्का के पश्चिमी भाग को रोक सकता है भारत
फिलहाल चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं में मलक्का जलडमरूमध्य एक बड़ी अड़चन है जबकि चीन की 80 फीसदी तेल आपूर्ति इसी रास्ते से करनी होती है जो काफी खर्चीली है।
इसीलिए वह इसे किसी भी सूरत में बनाने का इच्छुक है। जबकि भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह मलक्का डलडमरूमध्य के पश्चिमी भाग को आसानी से रोक सकता है। इससे चीन को काफी परेशानी हो सकती है।
हकीकत के करीब पहुंच रहा सदियों पुराना सपना
इस प्रोजक्ट की व्यवहार्यता का अध्ययन करने वाली संसदीय समिति के प्रमुख और थाई नेशन पावर पार्टी के सांसद सोंगक्लोड थिप्पारत ने कहा कि क्रा क्षेत्र में एक नहर बनाने का सदियों पुराना सपना वास्तविकता बनने के करीब पहुंच रहा है। भारत, ऑस्ट्रेलिया या अमेरिका जैसे देश इस परियोजना पर थाईलैंड के साथ हैं।