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महंगा होने जा रहा है इलाज, ऑक्सीजन के साथ दवा की कीमतों में भी इजाफा

ऑक्सीजन के साथ दवा की कीमतों में भी इजाफा हो गया है। गर्भावस्था, सांस, दिल, एंटीबायोटिक समेत दूसरी दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। पांच से लेकर 122 रुपये तक दाम बढ़े हैं। इससे मरीजों को इलाज पर और पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

इसलिए बढ़ी कीमतें
कोरोना संक्रमण व चीन से तनातनी की वजह से दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल की आपूर्ति बाधित है। 60 से 70 फीसदी दवाओं का कच्चा माल चीन से आ रहा था। संक्रमण से सप्लाई चेन बाधित है। कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होने का फर्क दवाओं की कीमतों पर पड़ रहा है।  नतीजतन दवाओं की आपूर्ति मांग के मुताबिक नहीं हो पा रही है। कंपनियों ने इसका फायदा उठाते हुए कीमतों में इजाफा किया है।

लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरिराज रस्तोगी के मुताबिक हाल में कुछ दवाओं की कीमत में इजाफा हुआ है। हालांकि बाजार में दवाओं की किल्लत नहीं है। मरीजों को सभी प्रकार की दवाएं मांग के मुताबिक उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रवक्ता विकास रस्तोगी के मुताबिक विटमिन समेत दूसरी मल्टी विटामिन दवाओं की मांग बढ़ी है। दवा की कीमत बढ़ने का कारण कच्चे माल का संकट भी हो सकता है।

इन दवाओं की बढ़ी कीमतें
-गर्भावस्था में दी जाने वाली डुफास्टॉन दवा 550 रुपये में 10 गोलियों का पत्ता मिलता था। अब 672 रुपये में यह दवा मिल रही है। करीब 122 रुपये का इजाफा हुआ है।
-पेट संबंधी परेशानी में दिया जाने वाला सिरप डुफालेक 505 रुपये में था। अब इसकी कीमत 515 रुपये हो गई है।
-यूरिक एसिड की दवा फैबुस्टैट 184 रुपये का पता था। अब 202 रुपये में मरीज खरीदने को मजबूर हैं। करीब 18 रुपये का इजाफा हुआ है।
-एंजाइटी एटैरक्स गोलियों का पत्ता 36 रुपये में था। अब इसकी कीमत 39 रुपये हो गई है।
-दिल की दवा मैफोकार्ड एक्सएल दिल की बीमारी
-सांस की दवा एबी फ्लो 112 रुपये की थी। इसमें 11 रुपये का इजाफा हुआ है। 123 रुपये में बिक रही है।

जेनेरिक दवाओं की किल्लत
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों में दवाओं की किल्लत है। मरीजों को जरूरी दवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। सबसे ज्यादा संकट एंटीबायोटिक, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज दवाओं का है। बलरामपुर, लोहिया और सिविल समेत दूसरे अस्पतालों में खुली स्टोर से मरीजों को मायूस लौटना पड़ रहा है। मरीज महंगी दर पर दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।

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