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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोरोना वैक्सीन को लेकर दिया बड़ा बयान

दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं। वहीं, अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कहा है कि वैक्सीन के तैयार होने पर केवल एक डोज से काम नहीं चलने वाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों को दो डोज की जरूरत पड़ सकती है और यही सबसे बड़ी चुनौती है।

वर्तमान समय में, दुनियाभर में टेस्टिंग किट, पीपीई किट और दूसरी जरूरी चीजों की कमी है। ऊपर से दो बार वैक्सीनेशन का प्रोग्राम चलाना दुनियाभर के देशों के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा। वहीं, अन्य बड़ी समस्याओं में खुद मानव ही शामिल है। लोगों को इस बात के लिए मनाना कि उन्हें एक नहीं बल्कि वैक्सीन के दो डोज की जरूरत पड़ेगी, खुद में ही एक बड़ी समस्या है। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ लोग वैक्सीन के दुष्प्रभाव से डरकर वैक्सीन न लगावाएं।

वैंडरबिल्ट विश्वविद्यालय की हेल्थ पॉलिसी प्रोफेसर डॉ केली मूर ने कहा, इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आएगा। यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम होगा। इसे पूरा करने में हमें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। हमने अभी तक इतना बड़ा प्रोग्राम नहीं चलाया है।

अमेरिका में वैक्सीन तैयार होने का क्या है हाल
अमेरिका में कोरोना की वैक्सीन को बाजार तक लाने के लिए ‘ऑपरेशन वार्प स्पीड’ चल रहा है। इसके तहत छह फार्मास्यूटिकल कंपनियों को रुपये दिए गए हैं। इनमें से दो कंपनी मॉडर्ना और फाइजर हैं, जिनके वैक्सीन फेज-3 ट्रायल पर है। दोनों कंपनी 30 हजार वॉलंटियरों को वैक्सीन की दो डोज दे रही हैं। मॉडर्ना 28 दिन के बाद तो फाइजर 21 दिन के बाद दूसरी डोज देगी।

एस्ट्रेजेनेका इस महीने फेज-3 ट्रायल को शुरू कर सकती है। इसके फेज-1 और फेज-2 ट्रायल के दौरान दो डोज 28 दिनों के दौरान दी गई। नोवावैक्स को अभी फेज-3 ट्रायल को शुरू करना है, लेकिन इसने पहले ट्रायल्स में वॉलंटियरों को वैक्सीन की दो डोज दी थी।

जॉनसन एंड जॉनसन के फेज-3 ट्रायल में कुछ लोगों को एक डोज दिया जाएगा और वहीं कुछ को वैक्सीन की दो डोज दी जाएगी। दूसरी तरफ, सानोफी ने अभी तक इस बात की घोषणा नहीं की है कि वह वॉलंटियरों को वैक्सीन की एक डोज देगा या दो डोज।

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