कोरोना के गंभीर मरीजों की मौत की बड़ी वजह सेप्टीसीमिया भी है। सेप्टीसीमिया की जद में आने से अब तक 30 कोरोना संक्रमितों की मरीजों की मौत हो चुकी है। लगातार मौत से डॉक्टरों में चिंता बढ़ गई है। मरीजों को सेप्टीसीमिया से बचाने की जुगत में लग गए हैं।
कोरोना वायरस की चाल लगातार तेज हो रही है। गंभीर मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। केजीएमयू में कोविड आईसीयू वेंटिलेटर यूनिट में ड्यूटी कर रहे डॉ. अजय वर्मा के मुताबिक कोविड के साथ निमोनिया व दूसरी समस्याएं मरीजों को झेलनी पड़ती हैं। नतीजतन फेफड़े ठीक से काम नहीं करते हैं।
वायरस व संक्रमण खून के माध्यम से शरीर के दूसरे अंगों में पहुंचने लगते हैं। इस स्थिति को सेप्टीसीमिया कहते हैं। खून में वायरस व संक्रमण बढ़ने पर रक्तवाहिनीयां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। इसमें अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है। धीरे-धीरें अंग फेल होने लगते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर भी यह संक्रमण तेजी से फैलता है।
बुजुर्ग रखें सेहत का खयाल
डॉ. अजय वर्मा के मुताबिक अंग फेल होने की दशा में मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की आवश्कता पड़ती है। उन्होंने बताया कि सेप्टीसीमिया की परेशानी अधिक उम्र, अंग प्रत्यारोपण, सांस, दिल, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर समेत दूसरी गंभीर मरीजों में देखने में मिल रही है। लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह के मुताबिक मौजूदा समय में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यह समस्या ऐसे मरीजों में अधिक देखने को मिल रही है जो बीमारी के दौरान पहले किसी अस्पताल में इलाज करा चुके होती हैं।
बचाव
मास्क लगाएं, भीड़-भाड़ वाले स्थान में जाने बचें। बेवजह घर से बाहर निकलने में परहेज करें। सर्दी-जुकाम व बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह लें। हाथों को साबुन से समय-समय पर धुलते रहें। सैनेटाइजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रोटीनयुक्त व पौष्टिक भोजन करें। हरी सब्जियां, फलों का सेवन बढ़ा दें। दाल, सोयाबीन फायदेमंद हैं।