सपा के बाद अब बसपा का भी ब्राह्मण प्रेम जग गया है। सपा की ओर से भगवान परशुराम की 108 फुट ऊंची प्रतिमा लगाने की घोषणा के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सत्ता में आने पर इससे अधिक भव्य प्रतिमा स्थापित करने का एलान किया है।
लखनऊ में मीडिया से मुखातिब मायावती ने यह भी कहा कि यदि इस बार बसपा सत्ता में आई तो परशुराम तथा अन्य सभी जातियों व धर्मों में जन्मे संतों, गुरुओं व महापुरुषों के नाम पर बड़ी संख्या में आधुनिक अस्पताल व सभी जरूरी सुविधा युक्त कम्युनिटी सेंटर का निर्माण कराएगी।
2019 में सपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली मायावती ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर जातिवादी मानसिकता से काम करने का आरोप लगाया। कहा कि सपा ब्राह्मण समाज के वोटों की खातिर अपने राजनीतिक स्वार्थ में परशुराम की प्रतिमा लगाने की बात कर रही है। यदि इनको वास्तव में परशुराम की प्रतिमा लगानी थी तो अपने पूर्व के शासनकाल में ही लगाते।
अब चुनाव नजदीक होने पर ऐसे एलान से स्पष्ट है कि सपा की हालत प्रदेश में बहुत खराब है। मायावती ने कहा कि ब्राह्मण समाज को उन पर भरोसा है और वह सपा के साथ कतई जाने वाला नहीं है। भाजपा पर अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए हुए भूमिपूजन का सियासी लाभ लेने का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा, बेहतर होता कार्यक्रम में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले राष्ट्रपति को भी बुलाया जाता। इससे अच्छा संदेश जाता। मायावती ने कहा कि राम लोगों की आस्था से जुड़े हैं। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
लखनऊ-नोएडा तक प्रमाण, बसपा किसकी मूर्तियां लगाती हैः सपा
मायावती के मूर्ति लगवाने के बयान पर सपा ने तीखा हमला किया है। सपा के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक मिश्र ने कहा, लखनऊ से नोएडा तक प्रमाण मौजूद हैं कि बसपा सरकार में किसकी मूर्तियां लगती हैं।
मायावती चार बार सीएम रही हैं। परशुराम की मूर्ति लगाने का भाव होता तो वह पहले ही लगवा देतीं। मिश्र ने कहा कि यदि भाजपा को भी ब्राह्मणों की इतनी चिंता है तो सपा से ऊंची मूर्ति लगवाएं। सपा सरकार में परशुराम जयंती पर अवकाश की घोषणा की गई। भाजपा सरकार ने इसे समाप्त कर दिया है।