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कोरोना फैलाने वाला चीन दुनिया के लिए बड़ा खतरा : पोम्पियो

चीन और अमेरिका के संबंधों में तल्खी लगातार बढ़ती ही जा रही है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने फिर से चेताया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से उनके देश को खतरे की आशंका वास्तविक है। पोम्पियो ने यह भी आरोप लगाया कि कोरोना वायरस चीन से आने वाला पहला वायरस नहीं है।

माइक पोम्पियो ने बुधवार कहा कि इस खतरे को भांपते हुए ट्रंप प्रशासन ने बीजिंग के साथ अपने संबंधों में सही संतुलन बैठाने के लिए प्रयास जारी कर दिए हैं। हमारी प्राथमिकता अमेरिकी नागरिकों की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना है। इसके लिए हर संभव उचित कदम उठाए जाएंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि व्यापार समझौते के पहले चरण को लेकर चीन अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा। उन्होंने कहा, ‘हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि वे अपनी प्रतिबद्धताओं को कैसे पूरा करते हैं।’

हमारी बौद्धिक संपदा चुराई, फिर हमें ही बेची
माइक पोम्पियो ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, ‘अमेरिका की सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) ने 2015 में ही आगाह किया था कि चीन से खतरे की आशंका वास्तविक है। इस वजह से हम रिश्तों में संतुलन बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आपने पहले इसे व्यापार से संबंधित प्रशासन में यह देखा। हमारे बीच व्यापार समझौते बहुत ही अजीब थे, जहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने पहले हमारी बौद्धिक संपदा चुराई और फिर इसे वापस हमें ही बेच दिया। सरकार के समर्थन से कंपनियों ने हमें धोखा दिया। आज चीन जितना साइबर चोरी कर रही है, उसकी किसी अन्य देश से तुलना नहीं की जा सकती।’

पोम्पियो ने कहा, ‘बहुत सारी चीजों की वजह से अमेरिका में नौकरियां खत्म हो गईं क्योंकि उस बौद्धिक संपदा से रोजगार के अवसर बनते।’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस चीज को काफी गंभीरता से लिया। यह सुनिश्चित करने के लिए मिशन शुरू किया जा चुका है ताकि हमारी आजादी पसंद जनता पर शी जिनपिंग का मॉडल हावी न हो।

अभी भी सच नहीं बोल रहा चीन 
एक अन्य सवाल के जवाब में पोम्पियो ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार में अहम मौकों पर सच को छिपाने का चलन है। वो हमें अभी भी कोरोना के पहले से संपर्क करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि यह वायरस दुनिया तक कैसे पहुंचा। हमारे यहां लगातार मामले बढ़ रहे हैं, फिर भी चीन हमें साधारण सी जांच नहीं करने दे रहे हैं।

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