विकास दुबे को बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर ले गए थे उसे उज्जैन से, मेडिकल कराया लेकिन अभिरक्षा में होने से मुकदमा दर्ज नहीं किया ।
उज्जैन। विकास दुबे का एनकाउंटर हो गया लेकिन उससे जुड़े हर पहलू पर उठ रहे सवाल उज्जैन पुलिस का पिछा नहीं छोडऩे वाले है। शुक्रवार सुबह जैसे ही विकास दुबे के एनकाउंटर की खबर आई, उज्जैन में भी कई प्रश्न उठने लगे। इन प्रश्नों का समाधान न आने तक कहीं न कहीं मध्यप्रदेश पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं।
विकास दुबे को बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर ले जाया गया था। जब उसे कानपुर के हॉस्पिटल में ले जाया गया तो उसके शरीर पर जैकेट नहीं थी।
कानपुर एसटीएफ के डीएसपी तेजबहादुरसिंह उसे लेने उज्जैन आए थे। फिर उज्जैन पुलिस उसे उत्तर प्रदेश की बार्डर पार करके बायपास तक छोडऩे क्यों गई?
विकास दुबे जब यह कह चुका था कि वह अपना पक्ष रखना चाहता है, तब उसे उज्जैन में मीडिया के समक्ष उपस्थित क्यों नहीं किया गया?
विकास दुबे ने फर्जी आयडी से महाकालेश्वर मंदिर में सशुल्क दर्शन की टिकट ली, तो उसके खिलाफ महाकाल थाने में प्रकरण दर्ज क्यों नहीं किया गया। यदि होता तो वह अभिरक्षा की बजाय आरोपी के रूप में होता। फिर उसे कोर्टें पेश करके ही उत्तर प्रदेश पुलिस को सोपना पड़ता।
विकास दुबे को किन-किन अज्ञात स्थानों पर रखा गया? उसे अभिरक्षा में रखने के दौरान पूछताछ क्यों नहीं की गई। यदि नहीं की गई तो शराब कम्पनी के एक मैनेजर का नाम कैसे सामने आया? यदि पूछताछ की गई तो उसके आधार पर बताए गए लोगों को चिंहित करके अभी तक उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं बताई गई?
वो कौन से लोग थे जो विकास को उज्जैन तक लाए और उज्जैन में उसे पनाह देकर महाकाल मंदिर तक दर्शन करने भेजा?
यदि विकास को संदिग्ध मानकर पकड़ा गया तो फिर उसके जो वीडियो जारी हुए,उसमें वह आराम से मंदिर के सुरक्षाकर्मियों के साथ चलता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में उसने भागने का प्रयास न करते हुए सहयोग क्यों किया? वह मंदिर के बाहर पुलिस जीप में बैठाते समय क्यों चिल्ला-चिल्लाकर बोला-मैं विकास दुबे हूं,कानपुरवाला ?
विकास के जो साथी परिसर में थे,उन पर वीडियो क्लिप बनाने का शक है। ऐसे में वो कौन लोग थे,जो लगातार क्लिप बना रहे थे,उन्हे निजी सुरक्षाकर्मियों ने क्यों नहीं पकड़ा? एक चित्र वायरल हुआ है,उसमें विकास दुबे अकेला चहलकदमी करते दिखाई दे रहा है।
गैंगस्टर विकास दुबे के कानपुर के समीप एनकाउंटर होने को लेकर उठ रहे सवालों का एसपी,उज्जैन मनोजकुमार सिंह ने सिलसिलेवार जवाब दिया है। एसपी ने बताया –
विकास दुबे ने समर्पण नहीं किया बल्कि उसे पकड़ा गया था। वह मीडिया को देख चिल्ला रहा था कि वह विकास दुबे कानपुरवाला है। जबकि उसके पकड़ाने के बाद कानपुर के आईजी एवं डीआईजी से चर्चा हो चुकी थी और यह पुष्टी हो गई थी कि वही विकास दुबे है।
विकास दुबे को पकडऩे के बाद महाकाल थाने लाया गया। यहां उससे पूछताछ नहीं हुई क्योंकि उत्तर प्रदेश की एसटीएफ के एएसपी का एक पत्र ई-मेल आया, जिसमें उन्होने बताया कि विकास दुबे उनके यहां का दुर्दांत अपराधी है और 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करके फरार हुआ है। इसीलिए उज्जैन पुलिस ने अपने वरिष्ठों के मार्गदर्शन में विकास दुबे को अभिरक्षा में रखा। उससे कोई पूछताछ नहीं की। अभिरक्षा में होने पर एफआईआर भी महाकाल थाने में नहीं लिखी गई।
विकास दुबे को महाकाल थाने से ले जाने के बाद उसका मेडिकल करवाया गया। मेडिकल करवाने के बाद उसे अज्ञात स्थान पर सुरक्षित रखा गया,ताकि उत्तर प्रदेश का दल आ जाए और उसकी सुपुर्दगी कर दी जाए।
पुलिस अभिरक्षा में वह डरा हुआ था। उसे भोजन भी करवाया गया,जो उसने किया। उसने कहाकि कि वह अपना पक्ष रखना चाहता है। उसे कहा गया कि मामला उत्तर प्रदेश पुलिस का है,वहीं अपनी बात रखें। हम अपनी अभिरक्षा में रखे हुए है और उत्तर प्रदेश पुलिस को सुरक्षित सौपेंगे। इसके बाद वह निश्चिंत दिखाई दिया।
विकास दुबे को चूंकि अभिरक्षा में रखा गया था,इसलिए उसे कोर्ट में पेश नहीं किया गया। वह यहां का अपराधी नहीं था।
गुरूवार प्रात: कन्फर्म होने पर कि जिसे पकड़ा है,वह विकास दुबे ही है उत्तर प्रदेश का पुलिस दल एसटीएफ डीएसपी के नेतृत्व में उज्जैन के लिए निकल पड़ा। उज्जैन से विकास दुबे को सायं 7 बजे उत्तर प्रदेश के लिए रवाना किया गया। उस वक्त उज्जैन से एसटीएफ के एक चार के गार्ड के तीन वाहन थे। एक वाहन में निरीक्षक प्रकाश वास्कले भी थे। एक वाहन से उत्तर प्रदेश पुलिस आई, जिसमें एसटीएफ डीएसपी ओर उनके पुलिसकर्मी थे। उस वक्त विकास को बुलेट प्रूफ जैकेट पहना रखी थी।
विकास दुबे को रात्रि 1 बजे गुना बार्डर क्रास करने के बाद उत्तर प्रदेश के बायपास पर उत्तर प्रदेश पुलिस को सौपा गया। जब उज्जैन से रवाना हुए तब ओर जब बायपास पर उसे सौपा, तब कागजी कार्रवाई की गई।