टिड्डियों के दल ने भारत के कई राज्यों में धावा बोला है। मंगलवार को टिड्डियों का दल राजस्थान के नागौर जिले में पहुंचा। लोगों ने उन्हें खेतों से दूर रखने के लिए बर्तनों को बजाया। एडीएम ने बताया कि यह समय टिड्डियों के प्रजनन का है, इसलिए समस्या बढ़ने वाली है। स्थानीय प्रशासन इन्हें काबू करने के लिए अभियान चला रहा है।
वहीं, टिड्डियों का दल जैसलमेर जिले में पहुंच गया है। यहां टिड्डयों को काबू करने के लिए ड्रोन के माध्यम से केमिकल का छिड़काव किया जा रहा है।
दुनिया की सबसे खतरनाक कीट होती हैं टिड्डियां
बता दें कि, दुनियाभर में टिड्डियों की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन भारत में केवल चार प्रजाति ही मिलती हैं। इसमें रेगिस्तानी टिड्डा, प्रव्राजक टिड्डा, बंबई टिड्डा और पेड़ वाला टिड्डा शामिल हैं। इनमें रेगिस्तानी टिड्डों को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। ये हरे-भरे घास के मैदानों में आने पर खतरनाक रूप ले लेते हैं। कृषि क्षेत्राधिकारियों के अनुसार, रेगिस्तानी टिड्डों की वजह दुनिया की दस फीसदी आबादी का जीवन प्रभावित हुआ है।
ऐसे पनपती हैं टिड्डियां
टिड्डियों के भारी संख्या में पनपने का मुख्य कारण वैश्विक तापवृद्धि के चलते मौसम में आ रहा बदलाव है। विशेषज्ञों ने बताया कि एक मादा टिड्डी तीन बार तक अंडे दे सकती है और एक बार में 95-158 अंडे तक दे सकती हैं। टिड्डियों के एक वर्ग मीटर में एक हजार अंडे हो सकते हैं। इनका जीवनकाल तीन से पांच महीनों का होता है। नर टिड्डे का आकार 60-75 एमएम और मादा का 70-90 एमएम तक हो सकता है।