ज्येष्ठ माह की अमावस्या 22 मई को है। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। कृष्ण पक्ष में चंद्रमा का आकार घटता है जबकि अमावस्या पर चांद पूरी तरफ गायब हो जाता है। अमावस्या के बाद के 15 दिन को हम शुक्ल पक्ष कहते हैं। अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है और अंधेरी रात चांद की रोशनी में चमकने लगती है। पूर्णिमा के दिन चांद बहुत बड़ा और रोशनी से भरा हुआ होता है। इस समय में चंद्रमा बलशाली होकर अपने पूरे आकार में रहता है यही कारण है कि कोई भी शुभ काम करने के लिए इस पक्ष को उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
22 मई को शनि जयंती, उससे पहले जानें कहीं शनि आपकी राशि के लिए घातक तो नहीं !
– अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्रमा एक राशि में होते हैं। ऐसे में 22 मई को सूर्य और चंद्रमा वृषभ राशि में एक साथ रहेगा।
– अमावस्या तिथि पर पितरों को श्राद्ध कर्म और दान करने का महत्व होता है।
– अमावस्या तिथि पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को मदद करने के उद्देश्यों से दान दिया जाता है।
22 मई को है शनि जयंती
22 मई, शुक्रवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि है। यह तिथि न्यायप्रिय देवता महाराज शनि के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। शनिदेव को क्रूर ग्रह माना जाता है। लेकिन शनि न्यायप्रिय देवता है। बुरा करने वालों को शनि तमाम तरह के कष्ट देते हैं। माना जाता है कि शनि की तिरछी नजर जिस किसी पर पड़ जाती है उसकी मुसीबतों का जल्दी से अंत नहीं हो पाता है। वहीं जो व्यक्ति अच्छा काम करता है शनिदेव उस पर अच्छी कृपा दृष्टि रखते हैं।